यह नई मशीन 10 साल पुरानी 16-स्लाइस मशीन को बदल कर लगाई जाएगी, जो अक्सर खराब हो जाती थी, जिससे मरीजों को निजी केंद्रों में महंगी जांच करानी पड़ती थी। एमएलबी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि यह मशीन बुंदेलखंड क्षेत्र में अपनी तरह की पहली होगी और इससे हृदय रोगों के निदान और उपचार में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
सीटीसीए एक गैर-इनवेसिव इमेजिंग तकनीक है जो हृदय की धमनियों के विस्तृत 3डी चित्रों को बनाने के लिए एक्स-रे और कंप्यूटर का उपयोग करती है। यह डॉक्टरों को रुकावटों, संकरी धमनियों और अन्य हृदय संबंधी असामान्यताओं की पहचान करने में मदद करता है।
पहले, एंजियोग्राफी कराने के लिए, मरीजों को कैथ लैब में भर्ती होना पड़ता था और उनकी नसों में तार डाले जाते थे। यह प्रक्रिया थोड़ी असहज और जोखिम भरी हो सकती है। सीटीसीए एक सुरक्षित और कम आक्रामक विकल्प प्रदान करता है, जिसमें मरीजों को केवल कुछ मिनटों के लिए मशीन में लेटना पड़ता है।
यह नई मशीन रामनवमी से मरीजों के लिए उपलब्ध होगी। डॉक्टरों का मानना है कि इससे हृदय रोगों का शीघ्र पता लगाने और उपचार में सुधार होगा, जिससे मृत्यु दर और रुग्णता में कमी आएगी।
इसके कुछ प्रमुख लाभ हैं: सटीक निदान: सीटीसीए हृदय की धमनियों में रुकावटों का अत्यधिक सटीक चित्रण प्रदान करता है, जिससे डॉक्टरों को बेहतर निदान करने और उपचार योजना बनाने में मदद मिलती है।
गैर-इनवेसिव: सीटीसीए एक गैर-इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है कि इसमें कोई चीरा या सुई नहीं लगाई जाती है। यह पारंपरिक एंजियोग्राफी की तुलना में कम जोखिम भरा और अधिक आरामदायक है।
दर्द रहित: सीटीसीए एक दर्द रहित प्रक्रिया है। मरीजों को प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द या परेशानी महसूस नहीं होती है।
तेज़: सीटीसीए एक त्वरित प्रक्रिया है जिसे आमतौर पर कुछ मिनटों में पूरा किया जा सकता है।
कम खर्चीला: सीटीसीए पारंपरिक एंजियोग्राफी की तुलना में कम खर्चीला हो सकता है।