प्रयागराज में उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवम शर्मा ने बताया, उत्तर प्रदेश सरकार की अधिसूचना के बाद रेलवे ने बृहस्पतिवार को अपने कंप्यूटर सिस्टम में झांसी रेलवे स्टेशन का कोड बदल दिया है। उन्होंने आगे कहा, पहले झांसी रेलवे स्टेशन का कोड ‘जेएचएस’ था. अब नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन होने के बाद इसका कोड ‘वीजीएलबी (VGLB)’ हो गया है।
रेल टिकट बुक करने को डालना होगा वीजीएलबी कोड – शिवम शर्मा ने बताया ने कहा, अब आपको झांसी का रेल टिकट बुक कराने के लिए ‘वीजीएलबी’ कोड डालना होगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बाबत अधिसूचना पहले ही जारी कर दी थी।
यूपी का चौथा रेलवे स्टेशन है झांसी, जिसका बदला गया नाम – गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर 29 दिसम्बर 2021 को प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने जारी अधिसूचना में बताया कि अब झांसी रेलवे स्टेशन का नया नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन होगा। अब झांसी नाम इतिहास बन जाएगा। इससे पहले योगी सरकार ने तीन प्रमुख स्टेशन इलाहाबाद को प्रयागराज, मुगलसराय को दीनदयाल उपाध्याय नगर और फैजाबाद को अयोध्या रेलवे स्टेशन का नाम दे चुकी है।
अंग्रेजों ने 1880 में बनवाया था रेलवे स्टेशन – रानी लक्ष्मीबाई के निधन के बाद अंग्रेजों ने 1880 के आखिर में ये रेलवे स्टेशन बनवाया था। झांसी का रेलवे स्टेशन देश के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में एक है। इसका प्लेटफॉर्म आम रेलवे प्लेटफार्म से ज्यादा लंबे है। इस पर एक साथ दो ट्रेनों को हैंडल किया जा सकता है।
‘झाँई सी’ से हुआ शहर का नाम झांसी – झांसी वैसे तो 9वीं शताब्दी में बसा था। झांसी के क़िले का निर्माण 1613 ई. में ओरछा शासक वीरसिंह बुन्देला ने करवाया था। बताया जाता है कि, राजा वीरसिंह बुन्देला ने दूर से पहाड़ी पर एक छाया देखी, जिसे बुन्देली भाषा में ‘झाँई सी’ बोला गया। आगे चलकर इस शब्द के बिगड़ते स्वरूप से इस शहर का नाम झांसी पड़ गया।
रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया जानें – रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया
रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया राज्य सरकार करती है।
राज्य सरकार का अनुरोध रेलवे बोर्ड के पास जाता है।
रेलवे बोर्ड इसे अनापत्ति के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजता है।
गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद रेलवे बोर्ड नाम को बदल देता है।
नाम बदलने के साथ स्टेशन का कोड भी बदला जाता है।
कोड को रेलवे के सारे दस्तावेजों में जगह दी जाती है।
कोड बदलने से बड़े पैमाने पर कागजों और दस्तावेजों में बदलाव करना पड़ता है।