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झालावाड़

दो करोड़ रुपए से बने पीपाजी पैनोरमा की छवि हो रही धूमिल, नहीं पहुंच रहे पावणे

प्रशासन नहीं कर रहा प्रचार-प्रसार पैनोरमा की सार-संभाल नहीं होने से ये बदहाल होता जा रह है।

झालावाड़Dec 13, 2024 / 11:51 am

harisingh gurjar

jhalawar news झालावाड़. शहर के निकट विश्व प्रसिद्ध गागरोन दुर्ग तक आने वाले पर्यटकों को संत पीपा के जीवन दर्शन से रूबरू करवाने के लिए साल 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में संत शिरोमणी पीपा पैनोरमा का निर्माण करवाया था। लेकिन बनने के बाद से इस पैनोरमा की सार-संभाल नहीं होने से ये बदहाल होता जा रह है।
इतना ही नहीं प्रशासन द्वारा भी इसकी अनदेखी की जा रही है। इसका निर्माण भी घटिया हुआ है, इससे जगह-जगह दीवारों में दरारें आ रही है। इसका प्रचार-प्रसार नहीं होने से यहां महीने में मुश्किल से 15- 20 लोग पहुंचते है। इसके बारे में कई शहरवासियों को तक पता नहीं है, ऐसे में बाहर के लोग कैसे यहां तक आएंगे। बारिश में तो पैनोरमा की छत टपकती है। इससे बेस कीमती मूर्तियां भी खराब हो रही है।

पूरे परिसर में अंधेरा

पूरे परिसर में प्रकाश की व्यवस्था नहीं होने से रात में अंधेरा पसरा रहता है। ऐसे में यहां आपराधिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। मुख्य द्वार के पास दोनों तरफ गार्ड रूम तो बना रखे हैं, लेकिन यहां गार्ड के नाम पर ही एक गार्ड है,वो दिन में ही रहता है। ऐसे में यहां गार्ड रूम की दोनों खिड़कियां चोरी व कई अन्य सामान भी चोरी हो चुके हैं। 2 करोड़ का नहीं हो रहा उपयोग- संत पीपाजी के जीवन दर्शन को दर्शाने व समझाने के लिए करीब 7 साल पहले इस पैनोरमा का निर्माण करवाया गया था। यह राजस्थान धरोहर संरक्षण व प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा बनाया गया है। इस पर करीब 2 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। लेकिन निर्माण घटिया होने से पूरा भवन जर्जर होने की कगार पर है। दोनों गेट पर जंग लग चुका है।
ऐसे बचा सकते हैं मूर्तियों को

पैनोरमा में लगी मूर्तियों को उज्जैन में महाकाल लोक में बने कांच के केस की तरह रखा जा सकता है। ताकि हर कोई मूर्तियों को हाथ लगाकर नहीं देखे व बारिश के पानी से भी खराब नहीं हो। यहां मूर्तियों के ऊपर बारिश में पानी गिरता रहता हैं। सुविधाएं कुछ नहीं- जानकारों का कहना है घटिया निर्माण के कारण पैनोरमा की हालत खस्ताहाल होने लगी है। यहां लगी खिड़कियों के कांच भी क्षतिग्रस्त होकर टूट गए हैं। परिसर में ठेकेदार ने शौचालय सहित और कई अन्य काम अधूरे ही छोड़ दिए। जबकि उस समय ठेकेदार को पूरा भुगतान भी कर दिया। जबकि इसमें अंदर बैठने के लिए कुर्सियां भी लगनी थी, लेकिन वो आज तक नहीं लग पाई है। यहां आने वाले लोगों को पीने का पानी भी नहीं नसीब नहीं होता है। देखने में पूरा परिसर जंगल की तरह लग रहा है।
क्या है पैनोरमा में

इस पैनोरमा में संत पीपाजी की जीवनी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी है। यहां संत पीपा के 29 शिष्यों, संत पीपा की 12 रानियों,सीता सहचरी (संत पीपा की पत्नी) का सिहं स्वरूप, भगवान को दही का भोग लगाने के लिए ग्वालिन को दही के बदले मुद्राए देने का दृश्य,घोड़ों का चोरी होने सहित पूरे जीवन से जुड़े दृश्य संत पीपा पैनोरमा में दर्शाए गए है।अगर इसका उचित प्रचार-प्रसार हो ओर देशी -विदेशी पर्यटक व विद्यार्थी, शोधार्थी यहां तक पहुंचेंगे तो उन्हे संत पीपा के बारे में कई अहम जानकारियां मिलेगी।
प्रचार-प्रसार का अभाव

पैनोरमा देखने के लिए महिलाओं का 20 व पुरूषों के लिए 30 रूपए का टिकट निर्धारित है, लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में इसे देखने महीने में नाममात्र के ही लोग यहां तक पहुंच पाते हैं। जिला प्रशासन ने शहर में कहीं भी पैनोरमा का बोर्ड तक नहीं लगाया है। पैनोरमा के आगे लगा बोर्ड भी खराब हो गया है, ऐसे में बाहर से आने वाले लोगों को इसका पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे में गागरोन आने वाले लोग भी पैनोरमा के आगे से होकर निकल जाते हैं। पर्यटन विभाग भी इसका कोई प्रचार नहीं कर रहा है।
यहां मेरे ज्वाइन करने के बाद मैं तीन बार पैनोरमा की विजिट कर चुका हूं। नगर परिषद के माध्यम से झाडियों की सफाई करवा रहे हैं। छत टपकने व शौचालय आदि के लिए पीडब्ल्यूडी को तकमीना बनाने के लिए कहा है।बाहर लाइट के पोल लगवाने व नाम आदि लिखवाएंगे। इसके प्रचार-प्रसार के कहां कैसे क्या कर सकते हैं चर्चा करेंगे।
अभिषेक चारण, उपखंड अधिकारी, झालावाड़

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