आम्रकुंज नगरी कहे जाने वाले डग कस्बे में कभी कल्याण सागर नाम से विशाल तालाब हुआ करता था। इसके अवशेष कुछ जगह आज भी जो तालाब की याद दिलाते हैं। अब तालाब की जमीन पर बस्तियां बस गई है। जानकारी के अनुसार रामपुरा के शासक किशन सिंह के बाद उनके पुत्र कल्याण सिंह डग के शासक बने। तब उन्होंने खंडहर हुए तालाब का पुनर्निर्माण 1611 में करवाकर उसे कल्याण सागर नाम दिया।
इस तालाब के अवशेष आज भी नगर में मौजूद हैं। पूर्व दिशा में पाषाणी पत्थरों से बनी हुई विशाल दीवार मौजूद है जो पानी रोकने के लिए बनाई गई थी। यहां गोमुख भी लगा हुआ है, जो अब जीर्ण शीर्ण हो चुका हैं। इस गोमुख से पूरे साल पानी निकलता था जो कल-कल कर बहता रहता था। पानी की भरपूर मात्रा होने से पूरा क्षेत्र पक्षियों के कलरव से गूंजता रहता था। अब सब विरान होने से सन्नाटा पसरा रहता है। पानी रोकने के लिए बनाया बांध टूट चुका है।
तालाब की जमीन बस्तियां बस गई
करीब 40 वर्ष पूर्व तक गुरु चेले की समाधि की ओर स्थित झिरनिया पानी से लबालब भरा रहता था। गर्मी से राहत पाने के लिए कस्बेवासी नहाते थे। पशु पक्षी भी विचरण करते दिखाई देते थे लेकिन अब सब सूख चुका है। तालाब की जमीन बस्तियां बस गई। पक्के मकान बन गए। प्रशासन, जनप्रतिनिधि, सरपंच सामुखल स्थित स्थल पर ध्यान दे तो पानी का रुकाव हो सकता है। इसके लिए गहरीकरण, एनिकट आदि कार्य की जरूरत है। इससे न केवल पानी रुकेगा बल्कि लोगों के लिए रमणीक स्थल भी तैयार हो सकता है।
प्रयास करेंगे
विकास अधिकारी एवं उच्च अधिकारियों से चर्चा कर इस बारे में जल्द ही तखमीना बनाएंगे। पानी रोकने व हरियाली के लिए प्रयास करेंगे। सत्यनारायण नरवरिया, तहसीलदार, डग काम कराया जाएगा
विकास अधिकारी से इस बारे में चर्चा की गई है। क्षतिग्रस्त दीवार के निर्माण, तालाब गहरीकरण व पंच कुइयों के जीर्णोद्धार के प्रस्ताव लेकर शीघ्र ही कार्य किया जाएगा। साथ ही गुरु चले की समाधि एवं रानी के मकबरा का भी काम कराया जाएगा। अन्नू कुंवर परिहार, सरपंच ग्राम पंचायत डग