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झालावाड़

किसानों के काम की खबर: गर्मी में जुताई से बढ़ती मिट्टी की उपजाऊ क्षमता, जानें कैसे हल से करें जुताई

Farmers News Today: राजस्थान के झालावाड़ जिले के सुनेल कस्बे सहित क्षेत्र के किसानों ने रबी की फसल लेने के बाद अब खेतों में हंकाई-जुताई करने का कार्य शुरू कर दिया है।

झालावाड़Apr 10, 2023 / 04:18 pm

Santosh Trivedi

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Farmers News Today: राजस्थान के झालावाड़ जिले के सुनेल कस्बे सहित क्षेत्र के किसानों ने रबी की फसल लेने के बाद अब खेतों में हंकाई-जुताई करने का कार्य शुरू कर दिया है। कृषि विभाग के कृषि पर्यवेक्षक लेखराज प्रजापति ने बताया कि जुताई करने का सबसे उपयोगी समय अप्रेल-मई ही होता है। इन महीनों में क्षेत्र के अधिकांश किसान हंकाई-जुताई करते हैं, ताकि आगामी बोई जाने वाली फसल की पैदावार अच्छी हो सके।

उन्होंने बताया कि एमबी प्लो से जुताई करने से कल्टीवेयर की तुलना में 9 से 12 इंच की गहराई तक जुताई होती है। जिससे नीचे जाने वाले पोषक तत्व ऊपर आ जाते हैं, साथ ही उर्वरकता भी बढ़ती है। कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों को खेत में जुताई करने की सलाह दे रहे हैं। जिससे फसल के लिए वरदान साबित होता है। ऐसा करने से खरपतवार नियत्रंण के अलावा कीड़ों के अण्ड़े, मकोड़े आदि ऊपर आकर धूप से नष्ठ हो जाते है। यदि जमीन के नीचे फफूंद भी होगी तो वह भी खत्म हो जाती हैं। इससे फसल स्वस्थ्य व पैदावार अच्छी होती है।

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तरीका अपनाएं:
खेतों में हंकाई-जुताई के लिए मिट्टी पलटने वाले हल में जुताई करना चाहिए। जिससे हल गहराई की मिट्टी को ऊपर लाकर डाल देता है। इससे मिट्टी की जलधारण क्षमता में बढ़ोत्तरी हो सके, एक जुताई खड़ी व दूसरी जुताई आड़ी करें एवं ढाल के विपरित करें। स्वयं को गर्मी से बचाने के लिए जुताई का समय सवेरे रखा जाए, मिट्टी की जांच के आधार पर ही खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करें एंव पोषक तत्वों को आवश्यकतानुसार देशी खाद कम्पोस्ट वर्मी से तथा शेष भाग उवर्रकों के साथ दें। क्योंकि देशी खाद व उर्वरकों का सम्मिलित उपयोग मिट्टी में उर्वरकों की उपयोग क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही खेतों की कार्यक्षमता बढ़ाने के कारण उच्च गुणवत्ता की पैदावार प्राप्त होती है।

ये हैं प्रमुख फायदे:
गर्मी की जुताई से खेत में पानी सोखने व जलधारण क्षमता में वृद्वि होती है। जल धारण क्षमता में वृद्वि होने से मृदा में नमी बढऩे से फसलों में सूख कम होती है। फसल अधिक दिनों तक सूख सहन कर सकती हैं। मृद्वा की संरचना में सुधार होता है व हवा का संचरण बढऩे से सूक्ष्म जीवों की ₹ियाशीलता में वृद्वि होती है। बरसात के पानी सोखने की क्षमता में वृद्धि होने से एटमोसफियरिंक नाइट्रेट पानी के साथ मृदा में प्रवेश करने से उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है।

किसान कैलाश राठौर ने बताया कि गर्मी के दिनों में हंकाई-जुताई से जहां तेज धूप की वजह से मिट्टी गरम होने से खेतों में उगने वाले खरपतवार पूरी तरह से नष्ठ हो जाता है। गर्मी में जुताई से कीटों के अण्डे, लार्वा व प्यूपा व पतंगे तेज धूप से मिट्टी के गर्म होने से झुलसने से नष्ट हो जाते हैं। जिससे इन कीटों के प्रकोप से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। गर्मी की जुताई से मिट्टी जनित रोगों के उन्मूलन में सहायता मिलती है। गर्मी की जुताई से निमेटोड की समस्या से निजात मिलती है। मिट्टी के पलटने से मिट्टी में क्षारीर एवं अम्लीय गुण बराबर होता है। गर्मी की जुताई के बाद खेत की उर्वरा शक्ति में बढ़ोत्तरी होने से फसलोत्पादन में वृद्धि होती है।

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