इतना लग रह समय-
गागरोनीतोते की छवि साड़ी पर बनाने में समय बहुत लग रहा है। एक साड़ी को बनाने में 10 -12 का समय लग रहा है। एक साड़ी को बनाने में 11-12 सौ रुपए का खर्चा आ रहा है। लेकिन साड़ी बनने के बाद इसकी मांग जयपुर व चैन्नई तक की जा रही है। अभी तक महिलाओं द्वारा असनावर में ही 45 साड़ी बनाई जा चुकी है। इसकी मांग ओर भी आएगी तो और साडिय़ां बनाएंगे, ताकि जिले के प्रसिद्ध गागरोनीतोते को पहचान मिल सके। ये हमारे जिले का पेटेंट बन जाएं।
इतनी है कीमत-
सुजानमल ने बताया कि एक साड़ी की कीमत 3 से 5 हजार रुपए तक है। जयपुर स्थित बुनकर सेवा केन्द्र में इसका पेटेंट कराया गया है,ताकि कोई भी इसकी हुबहू नकल नहीं कर सकें।ये पहल लुप्त होते इस प्रजाति के तोते के संरक्षण में कारगर होगी। साथ ही स्थानीय कला और शिल्प को भी बढ़ावा दे रही है।
स्थानीय कला को बढ़ावा मिलेगा-
गागरोनीतोते पर असनावर का हथकरधाकेन्द्र काम कर रहा है। सुजानमल को इसके लिए जिला स्तर पर मिलने वाला प्रथम पुरस्कार के तोर पर 5 हजार रूपए मिल चुका है। इससे स्थानीय कला को बढ़ावा मिलेगा साथ ही तोते का संरक्षण भी होगा।
अमृतलाल मीणा, प्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र, झालावाड़।