गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले गरीबों को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उज्ज्वला योजना के तहत बिना सिक्योरिटी के सिलेंडर दिए गए, उन्होंने वर्ष में चार सिलेंडर से ज्यादा की खपत नहीं की। इसका सीधा मतलब है कि प्रतिमाह बढ़ती कीमतों से एक हजार रुपये के करीब पहुंचे सिलेंडर को खरीदने की क्षमता इन गरीबों में नहीं है। इससे उज्ज्वला योजना के बंद होने की नौबत आ गई। इसे देखते हुए सरकार रसोई गैस वितरण में पुरानी पद्धति लागू करने का विचार कर रही है। इसी क्रम में सरकार ने तेल कंपनियों से सिलेंडर वितरण और सब्सिडी को लेकर सुझाव मांगे। सब्सिडी के बैंक खाते में जाने का इंतजार न करते हुए उन्हें सीधे छूट प्रदान कर सिलेंडर मुहैया कराया जाएगा। इंडियन आयल के सूत्रों के मुताबिक उक्त योजना जनवरी 2019 से लागू की जा सकती है।
उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के बाद दूसरे चरण में पुरानी व्यवस्था के तहत ही सभी उपभोक्ताओं को घर पर सब्सिडी के साथ सिलेंडर दिया जा सकता है। योजना के तहत उपभोक्ताओं को 500 रुपये में सिलेंडर मिलेगा, सब्सिडी तेल कंपनियों के खाते में सीधे जाएगी। उम्मीद है कि दूसरे चरण में यह व्यवस्था सभी उपभोक्ताओं के लिए लागू हो सकती है। इससे जनपद के लाखों उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। एक एजेंसी संचालक ने बताया कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की सूची नए सिरे से तैयार ने करने के लिए कंपनी का निर्देश मिला। इस संबंध में जिला पूर्ति कार्यालय से बताया कि अभी तक शासन से इस तरह का कोई निर्देश नहीं मिला है। चूंकि मामला तेल कंपनियों से जुड़ा है इसलिए इसकी सही जानकारी हमें नहीं मिल पाती। यह जरूर है कि पिछले दिनों इस तरह की चर्चा चल रही थी।