चंचल सिंह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र थे। 1978 में वह बीएचयू के छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इसके साथ ही उन्होंने राजनीत में कदम रख दिया। उसी समय जौनपुर के अपने पैतृक निवास महराजगंज के ब्लॉक मुख्यालय पर कुछ लोगों के साथ एक चाय की दुकान पर बैठकर चाय पी रहे थे। इसी दौरान उनके पास पुराने परिचित भारत यादव जा पहुंचे। भारत सीमेंट का परमिट न मिलने से परेशान थे। उन दिनों यूपी में सीमेंट की जबरदस्त किल्लती थी और इसके लिये परमिट देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास था। उधर इसी दौरान उस समय के जिलाधिकारी टीडी गौड़ विकास खण्ड का मुआयना करने जा पहुंचे।
चंचल सिंह को इस पुराने मामले में जेल भेजे जाने का अंदेशा पहले ही हो चुका था। उन्होंने गिरफ्तारी के पहले अपने फेसबुक वाल पर लिखा था
“निवेदन और अपील दोनो है । हमे जो भी पुलिसवाले लेकर अदालत जायेगें ,उनके साथ कोई बदसलूकी न होने पाए । ये पुलिसवाले अपनी ही परिवार से हैं किसी अडानी अम्बानी के घर से नही आते , मुलाजिम हैं जो हुकुम ऊपर से मिलता है , वही करते हैं । हम गांधी लोहिया के लोग हैं , न मारेंगे , न मानेगे । आप हमारी मदद करें शांति पूर्ण तरीके से इस निजाम को बदल दें ।”