ज्ञात हो कि गत दिनों न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी जशपुर द्वारा आपराधिक प्रकरण क्र.-0 10/2025 हेरमोन कुजूर विरुद्ध रायमुनी भगत में पारित आदेश दिनांक 06/01/2025 जिसके द्वारा पुनरीक्षणकर्ता के विरुद्ध धारा 196, 299, 302 बीएनएस एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2008 की धारा 66 का अपराध पंजीबद्ध किया जाकर पुनरीक्षणकर्ता की उपस्थिति के लिए समंस जारी करने का आदेश दिया गया। उक्त मामले में न्यायालय सत्र न्यायाधीश जशपुर जिला ने महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए मामले में अपना फैसला सुनाया है। जिसमें
विधायक रायमुनी भगत को राहत देते हुए उनके विरुद्ध हुए एफआईआर को निरस्त कर दिया गया है।
न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार आप. प्रकरण क्र. 10/2025 हेरमोन कुजूर विरुद्व रायमुनी भगत में पारित आदेश दिनांक 06/01/2025 पूर्णत: विधिक आधारों पर आधारित न होने से अपास्त किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है।
कोर्ट ने कहा पुनरीक्षणकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया जाना अनुचित
न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी जशपुर के द्वारा आदेश में कहा गया कि पुनरीक्षणकर्ता द्वारा लिया गया प्रथम आधार कि न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी जशपुर के द्वारा अपराध का संज्ञान लिए जाने से पूर्व पुनरीक्षणकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया जाना अनुचित प्रतीत होता है।
न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी जशपुर के द्वारा दिनांक 06/01/2025 को पुनरीक्षणकर्ता के विरुद्व धारा 196, 299, 302 बीएनएस एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2008 की धारा 66 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध करने से पूर्व पुनरीक्षणकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया, जिसके कारण न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी जशपुर द्वारा आप. प्रकरण क्र-ं0 10/2025 हेरमोन कुजूर विरुद्ध रायमुनी भगत मे पारित आदेश दिनांक 06/01/2025 पूर्णत: 4 विधिक आधारो पर आधारित न होने से स्थिर रखे जाने योग्य प्रतीत नहीं होता।
अत: आलोच्य आदेश दिनांक 06 जनवरी 2025 अपास्त किया जाता है, तथा प्रकरण न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी जशपुर को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वे परिवाद पर संज्ञान लेने से पूर्व पुनरीक्षणकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करें और उसके पश्चात पुन: आदेश पारित करें।