उन्होंने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया कि वे अब तक तकरीबन पांच साल से अधिक नक्सली जिले में अपनी सेवाएं दी है। उन्होंने बताया कि जब वे नक्सली जिला दंतेवाड़ा के गीदम ब्लाक के बारसूर टीआई थे तब उनकी कार को घोटपाल गांव के करीब नक्सलियों ने उड़ा दिया था। उन्होंने गोली लगने के बाद भी नक्सलियों से मुठभेड़ जारी रखा। शरीर चोटिल होने के बाद भी हार नहीं मानी और नक्सलियों को खदेडऩे में कामयाब हुए। उनकी सेवा को देखते हुए उन्हें न केवल राज्य अलंकर पुरस्कार मिला बल्कि बेहतर पुलिसिंग और गंभीर मामले सुलझाने के लिए भी राज्य सरकार द्वारा कई पुरस्कार दिए गए। मनीष परिहार की पोस्टिंग गुरुवार को ही सक्ती थाने में हुई है। सक्ती में अब उन्हें मोर्चा संभालना है। आपको बता दें कि सक्ती सटोरियों का थाना माना जाता है। यहां का सट्टा प्रदेश में टॉप पर है। यहां बड़े से बड़े सट्टा किंग हैं जिनसे टीआई परिहार को निपटना है।
इसलिए मिला पं. लखनलाल मिश्र पुरस्कार
बालोद जिले के तत्कालीन टीआई के रूप में पदस्थ मनीष सिंह परिहार ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी को फांसी की सजा दिलवाने में कामयाबी पाई थी। इसके कारण उन्हें राज्य शासन ने पं. लखनलाल मिश्र पुरस्कार भी प्रदान किया है। दरअसल, जब वे दल्लीराजहरा थाने में पदस्थ थे तब एक व्यक्ति ने 12 साल की नाबालिग से दुष्कर्म किया फिर उसकी हत्या कर दी थी। टीआई मनीष सिंह ने उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने इस मामले की ऐसी विवेचना की कि कोर्ट ने आरोपी को मात्र 19 माह के भीतर फांसी की सजा सुनाई थी।