अब मेडिकल अधीक्षक की नियुक्ति होनी बाकी है। सब कुछ सही रहा तो दिसंबर-जनवरी तक मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में आ जाएगा। फिलहाल जिला अस्पताल से ही मेडिकल कॉलेज की शुरूआत होगी, जब तक कुटरा में प्रस्तावित स्थल पर नई बिल्डिंग बनकर तैयार नहीं हो जाएगी। मेडिकल कॉलेज के लिए जिले में संचालित लाइवलीहुड कॉलेज की बिल्डिंग को भी प्रस्तावित किया गया है। यहां 17 बडे़ हॉल है। क्लासेस के आधार पर इसका चयन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किया गया है। जरूरत पड़ने पर जिला अस्पताल में संचालित जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर का भी उपयोग किया जा सकता है।
गौरतलब है कि जिले में
मेडिकल कॉलेज को शुरू करने के लिए 220 बेड की व्यवस्था दिखानी है। वर्तमान में जिला अस्पताल में ही 100 से बढ़कर करीब 150 बेड हो चुके हैं। नियमानुसार इसके लिए 5 से 7 किमी में दायरे में संचालित अन्य शासकीय अस्पतालों के बेड को भी शामिल किया जा सकता है। ऐसे में जांजगीर में ही संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नैला हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर समेत जिला अस्पताल में संचालित 6 बेड का डायलिसिस सेंटर और 10 बेड का नया डायलिसस सेंटर मिलाकर 220 बेड आराम हो जा रहे हैं।
इसी आधार पर मेडिकल कॉलेज के जल्द से जल्द शुरू होने की बात कही जा रही है। सब कुछ सही रहा तो साल के अंत तक मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में आ सकता है। इससे नीट की तैयारी करने वाले छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। बताया जा रहा है कि शुरूआत मेडिकल के 50 सीट से होगी। 100 सीट अभी नहीं मिलेगी।
जिला अस्पतालों से ही होती है मेडिकल कॉलेज की शुरूआत
अब तक सभी जिलों में जहां-जहां मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली, वहां संचालित जिला अस्पतालों को ही सबसे पहले मेडिकल कॉलेज के रूप में शुरू किया जाता है। क्योंकि नई बिल्डिंग बनाने समेत अन्य कामों में कई साल का लंबा समय लगता है। जांजगीर-चांपा जिले में भी संचालित जिला अस्पताल को ही मेडिकल कॉलेज के रूप में शुरू किया जाएगा। नई बिल्डिंग के लिए कुटरा में जमीन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चिन्हांकित कर भेजी जा चुकी है।
स्टेट लेवल से प्रक्रिया जारी: सीएस
सिविल सर्जन डॉ. जगत के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज के लिए 220 बेड की आवश्यकता है। जिला अस्पताल में 150 से ज्यादा बेडों की सुविधा है। डायलिसिस सेंटर समेत 5 किमी के दायरे में संचालित अन्य अस्पतालों को मिलाकर 220 बेड आसानी से हो जाएंगे। जिला अस्पताल की जब शुरूआत हुई तब 100 बेड के साथ हुई थी। आज स्थिति यह है कि जिले की आबादी कई गुना बढ़ चुकी है। मरीजों की संख्या तब की तुलना में आज दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में संसाधन बढ़ने से जिले में सुविधाएं भी बढ़ेगी।