जिला मुख्यालय जांजगीर के लोग दूषित पानी पी रहे हैं, इस बात का खुलासा स्वास्थ्य विभाग के सर्वे से हुआ है। चालू माह के 22 दिनों में जिला अस्पताल में डायरिया के 75 मरीज भर्ती हुए हैं।
जांजगीर-चांपा. जिला मुख्यालय जांजगीर के लोग दूषित पानी पी रहे हैं, इस बात का खुलासा स्वास्थ्य विभाग के सर्वे से हुआ है। चालू माह के 22 दिनों में जिला अस्पताल में डायरिया के 75 मरीज भर्ती हुए हैं। सभी मरीज जिला मुख्यालय के थे। वहीं इतने ही मरीज शहर के निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य लाभ लिए हैं। यानी 22 दिनों में 150 से अधिक लोग डायरिया से पीडि़त हुए हैं। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि जिला मुख्यालय के टेपनल से दूषित पानी की आपूर्ति हो रही है, जिसे पीकर लोग डायरिया के शिकार हो रहे हैं।
जिला मुख्यालय के 25 वार्ड में करीब 45 हजार की आबादी निवासरत है। इतनी आबादी में तकरीबन 50 फीसदी लोग टेपनल के सहारे पानी पीते हैं। कई मोहल्ले के लोग टेंकर का पानी पीने मजबूर हैं। शहर के लोग जिस पानी का उपयोग कर रहे हैं, वह दूषित है। टेपनल के जरिए जिस पानी की सप्लाई की जा रही है, उसमें न तो क्लोरीन का टेबलेट डाली जा रही है और न ही एलम का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में लोग दूषित पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। शहर में डायरिया के बढ़ते मरीजों को देखते हुए अधिकारियों के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने सर्वे किया है। सर्वे इसकी कराई गई कि जिला अस्पताल में पहुंचे मरीज अधिकतर कहां के हैं और ये मरीज किस स्तर के हैं। सर्वे रिपोर्ट सुनकर अधिकारी सन्न रह गए हैं। जिला अस्पताल में पहुंचे 50 फीसदी मरीज जिला मुख्यालय के ही निकले हैं।
इसके अलावा 50 फीसदी मरीज जिला मुख्यालय के आसपास के गांव चपेड़ा, धुरकोट, मुनुंद, तेंदूभाठा, सिवनी, सरखों सहित आधा दर्जन गांवों के पाए गए हैं। चालू माह के 22 दिनों में डायरिया के 175 मरीज जिला अस्पताल पहुंचे हैं। दूषित पानी की वजह से ही ये डायरिया के शिकार हुए हैं और इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचे हैं। सर्वे में प्रभावित पाए गए गांवों की सूची स्वास्थ्य विभाग के मैदानी स्तर के कर्मचारियों को सौंपने की तैयारी चल रही है, ताकि संबंििधत गांवों में स्वास्थ्य के प्रति विशेष शिविर लगाई जा सके। जिला मुख्यालय में भी स्वास्थ्य अमले को पूरी तरह से अलर्ट किया जा रहा है, ताकि आने वाले दिनों में महामारी के चलते किसी की जान न जाए। अमले को किया अलर्ट सर्वे के बाद अधिकारी अब मैदानी स्तर के स्वास्थ्यकर्मियों को अलर्ट करने की योजना बनाई गई है। अधिकारियों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को अलर्ट कर गांव-गांव में डायरिया, मलेरिया जैसे महामारी से निपटने गोली-दवा से लैस कर भेजा जाएगा। जिन गांवों में महामारी की आशंका है, उन गांवों में साफ- सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पानी टंकी, हैंडपंपों में क्लोरीन का छिड़काव तथा कुआं में भी पोटेशियम का छिड़काव सहित तमाम कवायद की जाएगी, ताकि डायरिया पांव न पसार सके। मलेरिया व पीलिया के मरीज भी मिल रहे
जिला मुख्यालय में केवल डायरिया के नहीं बल्कि, पीलिया व मलेरिया के मरीज भी मिल रहे हैं। ऐसे में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि जिला मुख्यालय में साफ-सफाई का अभाव है। नालियां मच्छर उगल रही है। नलों से दूषित पानी निकल रहा है, जिसके चलते लोग बीमार पड़ रहे हैं। नगरपालिका परिषद के जिम्मेदारों को महामारी से कोई सरोकार नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक कलक्टर ने इसीलिए सर्वे कराया है, ताकि बीमारी के वास्तविक कारणों का समय रहते पता चल सके।