शहर में डोर टू डोर अभियान में सुबह से ही महिलाएं रिक्शा लेकर निकल पड़ती हैं और घर-घर जाकर कचरा जुटाती हैं। शुरुआती दिनों में महिलाओं को इस काम में लोगों के जागरूक नहीं होने के कारण कुछ परेशानी जरूर हुई, पर अब लोग सहयोग कर रहे हैं। स्वसहायता समूह के सदस्य ने बताया कि उनके इस कार्य को लोगों का अच्छा समर्थन और सहयोग मिल रहा है।
नगर पालिका का कहना है कि वर्तमान में समूह की महिलाएं इस कार्य में जुटी हैं। नपा द्वारा वर्तमान में प्रोत्साहन के रूप में इन महिलाओं को 6 हजार रुपए दिए जा रहे हैं।
महिलाओं का मानना है कि उनके इस काम करने से नगर तो स्वच्छ हो रहा है। जो उन्हें खुशी प्रदान करता है। कचरा इकट्ठा करने वाली महिलाओं ने बताया कि पहले ज्यादा कचरा नहीं मिलता था पर लगातार लोगों के घरों में जाने से अधिकांश लोग कचरा उन्हें देने लगे, फिर भी कई लोग ऐसे है, जो कचरा नहीं देते और कही भी फेंक देते हैं।
महिलाओं ने बताया कि नगर पालिका ने 20 से लेकर 50 रुपए मासिक शुल्क लगाया है, लेकिन इन महिलाओं द्वारा जब शुल्क लेने घरों में जाते है तो उन्हें शुल्क नहीं मिल पाता है। उनका कहना है कि घरों और दुकानों से मिलने वाली शुल्क से ही मेहनताना बनता है। इसलिए उन्होंने कहा कि नागरिक उन्हें इस काम में सहयोग देने अपील की।
सूखे व गीले कचरे को करतीं हैं अलग
महिलाएं सुबह से सूखे और गीले कचरे लेने निकल जाती हैं। इसके बाद उसे सेंटर में ले जाकर अलग करतीं हैं। जो कबाड़ होता है उसे अलग कर डंप कर लेती हैं और बाद में उसे बेच देती हैं। अभी तक डंप किए कबाड़ से कचरे को अलग कर कपोस्ट पिट में डालकर सालभर में खाद तैयार कर लिया जाता है। अब तक 8 लाख रुपए की कंपोस्ट खाद बेची जा चुकी है। अब लोग जगह-जगह कचरा नहीं फेंकते, इसके कारण अब ऐसे स्थान साफ-सुथरा नजर आ रहा है। शहर को स्वच्छ बनाने में लगे महिलाओं को मासिक शुल्क वसूलने में परेशानी आ रही है। इसके लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। सूखा कचरा बेचकर महिलाएं अलग से पैसा कमा रहीं हैं। नगर के लोगों से सहयोग की अपेक्षा है कि वे अपने घर का कचरा स्व सहायता समूह को दें और समय पर उन्हें पालिका द्वारा निर्धारित शुल्क का भुगतान भी करें। – प्रहलाद पांडेय, सीएमओ