पार्किंग की सुविधा का अभाव
जिला बनने के एक दशक बाद भी जिला मुख्यालय में सरकारी आफिस व मार्केट के आसपास कहीं पार्किंग की व्यवस्था तक नहीं हो सकी है। शॉपिंग करते समय या कार्यालयीन काम के लिए दफ्तर पहुंचे लोगों को सड़क किनारे वाहनों की पार्किंग करना पड़ती है। ऐसे में शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है। दूसरी ओर स्टाफ की कमी की वजह से भी हर चौक-चौराहे दफ्तर व भीड़-भाड़ वाले इलाके में ट्रैफिक के जवानों की डयूटी लगा पाना संभव नहीं है, जिससे व्यवस्था बदहाल हो गई है।
हादसे के बाद लेते हैं सुध
सड़क में यातायात व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करने विभाग कभी अलर्ट नजर नहीं आता। सड़क हादसे या चक्काजाम की स्थिति में ही पुलिस और यातायात का अमला सजग होता है। जवाबदार नुमाईदे अव्यवस्था को सुधारने अपने स्तर पर सतर्कता बरतते हैं लेकिन चंद दिनों बाद फिर स्थिति ज्यों की त्यों नजर आती है। यातायात विभाग के नुमाइंदां की उदासीनता के चलते दिन ब दिन यातायात व्यवस्था बिगड़ती जा रही है।