केबल के बोझ के चलते टूटने लगे बांस-बल्ली
इसके चलते स्थिति ऐसी हो गई है धड़ाधड़ कर मकान-कालोनी तो बस रहे हैं लेकिन वहां बिजली खंभे सालों बाद भी नहीं लग पाए हैं। ऐसी ही स्थिति जिला मुख्यालय जांजगीर के वार्ड क्रमांक 18 की है। पिछले दो-ढाई सालों में हीं यहां नहर से आगे रेलवे लाइन तक धड़ाधड़ कर मकान पर मकान और कालोनियां बस गई लेकिन आज तक दो-तीन बिजली पोल के बाद आगे खंभा नहीं बढ़ा। नतीजा यह हो गया है कि यहां बांस-बल्ली के सहारे इतने सारे अस्थायी कनेक्शन होते जा रहे हैं कि अब तक बांस भी बोझ सहन नहीं कर पा रहा। किसी भी दिन यहां हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसा ही नजारा शहर के अधिकतर वार्डों में अब बढ़ता जा रहा है क्योंकि वार्डों में खंभे लगाने के लिए न तो नपा आगे आ रहा है और न ही विद्युत विभाग।
योजना के तहत रहवासी आवेदन करते हैं तो 25 फीसदी ही राशि उपभोक्ता को देनी होती है। शेष 75 फीसदी राशि विद्युत वितरण कंपनी देती है। स्थायी कनेक्शन के लिए बिजली पोल जरूरी है तभी हम स्थायी मीटर लगाया जा सकता है।
सौरभ कश्यप, एई, नैला जोन