scriptवार्डो में खंभे लगाने फंड का रोड़ा, बिजली तारों का फैल रहा मकडज़ाल | Block in funds to install poles in wards, web of electric wires spread | Patrika News
जांजगीर चंपा

वार्डो में खंभे लगाने फंड का रोड़ा, बिजली तारों का फैल रहा मकडज़ाल

जिला मुख्यालय जांजगीर में आवासीय क्षेत्रों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अधिकांश वार्डो में पहले जो खाली जमीन थी, वहां पिछले चार-पांच सालों में कई कॉलोनियों और सैकड़ों घर-मकान खड़े हो चुके हैं। लेकिन वहां तक बिजली खंभे लगवाने में रहवासियों को लोहे के चने चबाने जैसा हो रहा है।

जांजगीर चंपाFeb 24, 2024 / 09:32 pm

Anand Namdeo

वार्डो में खंभे लगाने फंड का रोड़ा, बिजली तारों का फैल रहा मकडज़ाल

वार्डो में खंभे लगाने फंड का रोड़ा, बिजली तारों का फैल रहा मकडज़ाल

बिजली खंभे लगवाने के पीछे दोगुना से ज्यादा कीमत बिजली विभाग में जमा करनी पड़ रही है। ऐसे में इसके चलते बांस-बल्ली के सहारे ही लोग कनेक्शन खींचकर काम चला रहे है। इसके लिए उन्हें डेढ़ गुना बिजली का बिल भरना पड़ रहा है। अस्थायी कनेक्शन देने के लिए बिजली विभाग का नियम है कि बिजली पोल लगने के बाद ही स्थायी कनेक्शन दिया जा सकता है। विद्युत वितरण कंपनी के अनुसार, योजना के तहत वहां भी स्थायी कनेक्शन दिया जा सकता है। इसके लिए संबंधित क्षेत्र तक बिजली कनेक्शन खींचने के एवज में जितनी राशि खर्च आती है, उसका 25 फीसदी ही उपभोक्ताओं को देना होता है। बाकी 75 फीसदी राशि विद्युत वितरण कंपनी वहन करती है।

केबल के बोझ के चलते टूटने लगे बांस-बल्ली


इसके चलते स्थिति ऐसी हो गई है धड़ाधड़ कर मकान-कालोनी तो बस रहे हैं लेकिन वहां बिजली खंभे सालों बाद भी नहीं लग पाए हैं। ऐसी ही स्थिति जिला मुख्यालय जांजगीर के वार्ड क्रमांक 18 की है। पिछले दो-ढाई सालों में हीं यहां नहर से आगे रेलवे लाइन तक धड़ाधड़ कर मकान पर मकान और कालोनियां बस गई लेकिन आज तक दो-तीन बिजली पोल के बाद आगे खंभा नहीं बढ़ा। नतीजा यह हो गया है कि यहां बांस-बल्ली के सहारे इतने सारे अस्थायी कनेक्शन होते जा रहे हैं कि अब तक बांस भी बोझ सहन नहीं कर पा रहा। किसी भी दिन यहां हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसा ही नजारा शहर के अधिकतर वार्डों में अब बढ़ता जा रहा है क्योंकि वार्डों में खंभे लगाने के लिए न तो नपा आगे आ रहा है और न ही विद्युत विभाग।

योजना के तहत रहवासी आवेदन करते हैं तो 25 फीसदी ही राशि उपभोक्ता को देनी होती है। शेष 75 फीसदी राशि विद्युत वितरण कंपनी देती है। स्थायी कनेक्शन के लिए बिजली पोल जरूरी है तभी हम स्थायी मीटर लगाया जा सकता है।
सौरभ कश्यप, एई, नैला जोन

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