जालोर

कभी राजस्थान के इस जिले को मालामाल करती थी बजरी, अब खनन माफियाओं का राज, सरकार को लग रहा झटका

Jalore News: कंस्ट्रक्शन सेक्टर और अन्य जरुरतों की पूर्ति कर रहे खनन माफिया, लोगों की परेशानी यह कि वैध बजरी का फिलहाल कोई सोर्स मौजूद नहीं

जालोरJan 16, 2025 / 10:28 am

Rakesh Mishra

पत्रिका फोटो

Gravel Mining in Jalore: राजस्थान के जालोर में बजरी के लीज क्षेत्र बंद होने के बाद खनन और पुलिस विभाग की ओर से खनन माफियाओं पर नकेल कसने के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है, लेकिन दूसरा अहम पक्ष भी है कि सीमित संसाधनों के अभाव में उसके बावजूद पुलिस और विभाग की नजरों से बचकर खनन माफिया खनन कर रहे हैं।
इधर, फिलहाल जिले में एक भी बजरी लीज क्षेत्र नहीं होने से सरकार को जिले से पिछले एक साल से रेवेन्यू नहीं मिल रहा। दूसरा अहम पक्ष यह भी है कि इस स्थिति से सरकार को सालाना करोड़ों का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।
जालोर जिले की बात करें तो खनन और पुलिस विभाग की ओर से अवैध खनन को रोकने के लिए लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन कंस्ट्रक्शन सेक्टर का आधार ही बजरी है तो अवैध खनन का सिलसिला उसके बावजूद जारी है। घरों के निर्माण, सरकारी निर्माण समेत सीसी रोड निर्माण कार्यों में बजरी का उपयोग हो रहा है। वैध बजरी की उपलब्धता जालोर में नहीं है, ऐसे में मजबूरन लोगों को भी अवैध खननकर्ताओं से ही बजरी लेनी पड़ रही है।

ये थे क्षेत्र और इतना मिल रहा था राजस्व

जालोर जिले में कुल 6 बजरी लीज क्षेत्र थे, जहां पर वित्तीय वर्ष 2024 के बाद खनन बंद है और नए लीज का इंतजार है।
  • * जसवंतपुरा में 2 मई 2024 को लीज पूरी हुई, यहां से 3.99 करोड़ का राजस्व मिल रहा था।
  • * आहोर/ भाद्राजून में 3 दिसंबर 2023 में लीज पूरी हुइ्र, यहां से 3.09 करोड़ का राजस्व मिल रहा था।
  • * जालोर में 14 जुलाई 2022 में लीज पूरी हुई, यहां से 5.84 करोड़ का राजस्व मिल रहा था।
  • * सायला में 15 जुलाई 2022 लीज पूरी हुई, यहां से 2.63 करोड़ का राजस्व मिल रहा था।
  • * बागोड़ा में 10 दिसंबर 2023 से लीज पूरी हुई, यहां से 1.89 करोड़ का राजस्व मिल रहा था।
  • * भीनमाल में 6 मई 2024 को लीज पूरी हुई, यहां से 1.95 करोड़ का राजस्व मिल रहा था।

अभी ऐसे हालात बने

जवाई नदी और लूनी जैसी नदियों का जालोर जिले में करीब 200 किमी का दायरा है। नदी प्रवाह क्षेत्र में बजरी भी उपलब्ध है। लीज एरिया नहीं होने से बजरी माफिया सक्रिय है। जब तक लीज क्षेत्र आवंटित नहीं होंगे तब तक अवैध खनन माफियाओं का जाल भी सक्रिय रहेगा।
इस स्थिति में सरकार को भी राजस्व का नुकसान ही है। विभागीय स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे, लेकिन जिन पट्टों को आवंटन की प्रक्रिया चल रही है वे भी 3 माह से ईसी के चक्कर में अटके पड़े हैं। जिसका फायदा अवैध खनन में लिप्त खनन माफियाओं को मिल रहा है।

इनका कहना

लीज क्षेत्र के लिए निदेशालय को प्रस्ताव भिजवाए गए हैं। 19 बजरी के खनन पट्टे प्रक्रियाधीन है। वहीं सांफाड़ा की तीन लीज ईसी नहीं मिलने से लंबित है। स्वीकृति मिलने के साथ लोगों को सस्ती और वाजिब दर से वैध तरीके से बजरी उपलब्ध हो सकेगी।
लक्ष्मीनारायण कुमावत, एमई, जालोर

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