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खेतों के कर दिए 2 हिस्सेहेमागुड़ा सहित 6 गांवों के किसानों ने 5 मई 2016 को कैनाल किनारे धरना शुरू किया था। इसमें हेमागुड़ा, डीएस ढाणी, गुड़ा हेमा, भाखू गोयतों की ढाणी, मेलावास व रिडीया धोरा के किसान शामिल हैं। हर मौसम में धरना अनवरत है। दरी, तिरपाल सहित अन्य सामान बक्से में रखते हैं। 7 साल में 4 किसान मर चुके। तीन टेंट फट गए। कोलायत पॉलिसी की मांग हो रही है। इसमें नहर के पास डिग्गी में पानी छोड़ा जाता है, जिससे सिंचाई के लिए करते हैं।
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ये है मामालइन किसानों का मुद्दा ये है कि हमारे खेतों को भी सिंचाई का पानी मिले। इनकी मांग ये है कि इनके गांवों में कोलायात पॉलिसी लागू हो और कमांड में लिया जाए। इनका कहना है कि अब वो नेताओं को घेरेंगे क्योंकि यहां पर 10 हजार वोटर है।
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कमांड से निकालाजालोर के इन गांवों के ग्रामीणों का आरोप है कि 2005 तक इस एरिया को कमांड क्षेत्र में रखा था, लेकिन 2008 में हुए एक सर्वे के बाद अनकमांड कर दिया। तर्क दिया गया कि हेमागुड़ा क्षेत्र के पास से दो नदियां गुजर रही हैं। जबकि 10-15 साल से नदियां खुद प्यासी हैं। किसान मिश्रीलाल का कहना है कि डिजाइन बनने और 2008 में पहली बार पानी आने तक यह क्षेत्र कमांड में था। वितरिकाएं बनते ही हटा दिया गया। झूठी रिपोर्ट बनाई कि इलाका खेती योग्य नहीं है।
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व्यर्थ बहा रहे ओवरफ्लो पानीइस संघर्ष समिति के अध्यक्ष दीपाराम विश्नोई का कहना है कि धरने से 2 किमी दूर तीन माह से लूणी नदी में हर दिन छोड़े जा रहे 200 से 300 क्यूसेक पानी से खेत दलदल हो चुके हैं। वहां खराबे का करोड़ों का मुआवजा भी दे रहे। यही पानी हमारे लिए पर्याप्त है। इस बीच बाड़मेर के गुड़ामालानी व जालोर के फालना जाजूसन क्षेत्र में कमांड एरिया का 5-5 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ा दिया गया। क्योंकि उनके लिए तत्कालीन मंत्री हेमाराम और सांसद देवजी पटेल ने जोरदार पैरवी की थी।