ऐसे में इस मार्ग पर चलने वाले वाहन चालकों को थोड़े सुकुन के लिए किसी पेड़ की छांव लेनी हो तो वो नसीब नहीं है। उनको कुछ देर रूकने के लिए भी कड़ी धूप में तपना होगा। एनजीटी के आदेश के अनुसार किसी भी प्रोजेक्ट निर्माण के दौरान काटे गए पेड़ों की एवज में 10 गुना नए पौधे रोपने होंगे, लेकिन यहां तो इतने सालों में एक नया पौधा भी नहीं लग पाया है। सड़क निर्माण एजेंसी ने सडक़ निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद वसूली तो शुरू कर दी, लेकिन पौधरोपण करना भूल गए।
233 हरे—भरे पेड़ों की दी गई थी बलि
भीनमाल से जीवाणा तक 55 किलोमीटर टोल स्टेट हाइवे का निर्माण 2019 में शुरू होकर 2021 में पूर्ण हो गया। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विभाग की ओर से इस प्रोजेक्ट में सड़क की चौड़ाई में आने वाले पेड़—पौधों का सर्वे करवाया गया था। सर्वे में 233 पेड़ों को कटाई के लिए चिन्हित किया गया था। ठेकेदार ने इन पेड़ों की बलि तो दे दी, लेकिन उसकी एवज में एक नया पौधा भी नहीं लगाया। निर्माण एजेंसी की लापरवाही व प्रशासन की अनदेखी का खामीयाजा इस मार्ग से गुजरने वाले वाहन चालकों व राहगीरों को भुगतना पड़ा रहा है। उन्हें 55 किलोमीटर के दायरे में कही दो मिनट का सुकून लेने के लिए हरा पेड़ नहीं मिल रहे हैं।
10 गुना करना होता है पौधरोपण
एनजीटी ने पेड़—पौधों की कमी के चलते बढ़ रहे तापमान से बिगड़ रहे पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए बड़े प्रोजेक्ट में काटे गए पेड़ों की जगह उस क्षेत्र में 10 गुना पौधरोपण करने के आदेश दे रखे है, लेकिन यहां तो निर्माणकर्ता एजेंसी 233 हरे—भरे पेड़ों की बलि लेने के बाद केवल टोल वसूली कर रही है। नियमानुसार एजेंसी को 10 गुना के हिसाब से इस मार्ग पर करीब 2400 पौधे लगाने थे, लेकिन एजेंसी ने निर्माण कार्य पूर्ण होने के चार साल बाद भी इस सड़क मार्ग पर एक नया पौधा नहीं लगाया।
233 पेड़ों को किया था चिन्हित
भीनमाल—जीवाणा स्टेट हाइवे निर्माण के दौरान सड़क की चौडाई बढ़ाने पर बीच में आने वाले पेड़—पौधों का विभाग ने सर्वे करवाया था। सर्वे में 233 हरे—भरे पेड़ों को कटाई के लिए चिन्हित किया था। वन विभाग की कोई भूमि इस प्रोजेक्ट नहीं थी। काटे गए पेड़ो के बदले पौधरोपण के लिए कोई भुगतान जमा हुआ होगा तो वह जिस विभाग की जमीन है उसके खाते में हुआ होगा।