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जालोर

डोडा-पोस्त बंधाणियों का गढ़ जालोर-बाड़मेर, इसलिए तस्करी का नेटवर्क एमपी से लेकर यहां तक फैला

– डोडा तस्करी पर सिलसिलेवार कार्रवाई, लेकिन अब तक मुख्य सरगना हर बार बच निकल जाता है

जालोरMar 01, 2022 / 08:30 pm

Suresh Hemnani

डोडा-पोस्त बंधाणियों का गढ़ जालोर-बाड़मेर, इसलिए तस्करी का नेटवर्क एमपी से लेकर यहां तक फैला

डोडा-पोस्त बंधाणियों का गढ़ जालोर-बाड़मेर, इसलिए तस्करी का नेटवर्क एमपी से लेकर यहां तक फैला

जालोर। डोडा और अफीम तस्करी का बड़ा नेटवर्क जालोर-बाड़मेर की भौगोलिक स्थिति और यहां मौजूद बंधाणियों की बड़ी तादाद को रास आ रहा है। एक तरफ बड़े स्तर पर जालोर जिले में डोडा तस्करी का गिरोह सक्रिय होने का अंदेशा है दूसरी तरफ दोनों ही जिलों में डोडा पोस्त की बड़ी डिमांड के चलते यहां भारी मात्रा में डोडा पहुंच भी रहा है। हालांकि पुलिस प्रकरणों में अलर्ट और कार्रवाई भी की जा रही है। लेकिन इस तरह के मामले में अब तक गिरोह से जुड़े बड़े आरोपी गिरफ्त में नहीं आ पा रहे हैं। इस तरह के गिरोह के तार मध्यप्रदेश तक जुड़े हुए है और अक्सर स्थानीय स्तर पर आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस जब भी मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास करती है तो उसमें सफलता नहीं मिल पाती।
इस तरह का बड़ा नेटवर्क
चितलवाना पुलिस द्वारा सोमवार को डोडा तस्करी के मामले में की गई बड़ी कार्रवाई के मामले में यह तथ्य सामने आया। यहां बरामद 447 किलो डोडा बरामदगी के मामले में तस्कर गिरोह के तार मध्यप्रदेश में पिपलिया मंडी से जुड़े हुए हैं। प्रकरण में एक आरोपी स्वरूपसिंह फरार है। पुलिस प्रकरण में यह तथ्य जुटाने का प्रयास कर रही है कि डोडा की सप्लाई बाड़मेर में कहां होनी थी।
सवाल कब से चल रहा था नेटवर्क
बताया जा रहा है कि चितलवाना पुलिस द्वारा 447 किलो डोडा बरामदगी के मामले में पुलिस जांच में जुटी है कि क्या इससे पूर्व भी इन आरोपियों द्वारा डोडा तस्करी की गई। वहीं क्या सांचौर क्षेत्र में कहीं पर इस बरागदमी के अलावा भी डोडा सप्लाई हुई है। प्रकरण में गिरफ्तार धर्माराम उर्फ धर्मेन्द्र पुत्र हरजीराम जाट निवासी हाथीतला, पुलिस थाना सदर जिला बाड़मेर का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। पुलिस का कहना है कि प्रकरण में फरार दूसरे आरोपी की गिरफ्तारी के बाद प्रकरण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
समझें: कितना गंभीर मामला
डोडा पर बंदिश लगने से पहले इस नशे को करने वाले लोगों की संख्या अधिक थी। जिन लोगों को इसकी लत लगी, वे आस भी इस नशे को किसी न किसी रूप में कर रहे हैं। ऐसे में डोडा के डिमांड बरकरार है। इस जरुरत को पूरा करने की एवज में तस्करों को अच्छे दाम मिल जाते हैं। इसी के कारण इस नशे की बड़े स्तर पर तस्करी का सिलसिला अब भी जारी है।
अफीम की खेती तक हो चुकी जालोर में
– 13 मार्च 2019 में बागरा थाना क्षेत्र के देवाड़ा में अफीम की खेती पकड़ी गई थी, यहां अफीम के 40 हजार पौधे पुलिस टीम ने जब्त किए थे।
– 13 मार्च 2019 में ही घासेड़ी और कोटकास्तां में भी अफीम की खेती पकड़ी गई थी।
– 29 मार्च 2019 को आसाणा में भी अफीम की खेती पकड़ी गई, यहां 2800 पौधे पुलिस टीम ने जब्त किए थे।
– मार्च 2020 में सांचौर क्षेत्र के काजा का गोलिया में भी खेत में अफीम की खेती पकड़ी गई। यहां 3017 अफीम के पौधे जब्त किए गए।
– मार्च 2020 में ही जसवंतपुरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत वाड़ाभवजी में एक खेत से 7700 पौधे डोडा के बरामद किए गए थे।
तस्करी का बड़ा नेटवर्क, अब तक भारी मात्रा में डोडा जब्त
– 1 दिसंबर 2018 को सायला में 4.21 क्विंटल डोडा तस्करी ट्रक के केबिन के पीछे बनाए गए केबिन में रखकर की जा रही थी, लेकिन पुलिस से नहीं बच पाए तस्कर
– 2019 में सांचौर पुलिस ने ट्रेक्टर के टायर को खुलवा कर उसमें से 127 किलो डोडा बरामद कर ट्रेक्टर चालक तस्करों को गिरफ्तार किया।
– जुलाई 2019 की रात को वैन में तस्कर 5.8 किलो अफीम पेट्रोल की टंकी के पास एक छोटा केबिन बनाकर उसमें छिपाकर लाए थे। भीनमाल पुलिस ने तीन आरोपियों को पकड़ा था। एक गाड़ी नाकाबंदी से आगाह करने के लिए चल रही थी।

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