यहां जालोर में एक ही झटके में बह गए 20 करोड़
बारिश के दौरान नर्मदा परियोजना को पहुंचा काफी ज्यादा नुकसान, प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के बाद पहली बाद इतने लंबे समय तक शटडाउन
बारिश के दौरान नर्मदा परियोजना को पहुंचा काफी ज्यादा नुकसान, प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के बाद पहली बाद इतने लंबे समय तक शटडाउन
– 1793 किमी है नर्मदा की केनाल (जालोर-बाड़मेर)
– 1400 क्यूसेक पानी रोजाना मिलता था बाढ़ से पहले
– 2०.८२ करोड़ का नुकसान (जालोर-बाड़मेर)
– 16.09 करोड़ का नुकसान जालोर जिले में
– ४.७६ करोड़ का नुकसान बाड़मेर जिले में
– ४ माह से बंद है पानी की सप्लाई
– 4 माह और लगेगा कम से कम मरम्मत में समय
– ५० लाख लीटर तक पानी मिल रहा था जालोर को
जालोर. मानसून के दौरान भारी बारिश के बाद अब तक हालात सुधरे नहीं है और इससे सबसे अधिक सांचौर का कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ है। हर साल इस समय किसानों को जहां सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मुहैया हो जाता है। वहीं इस साल किसानों को एक बूंद पानी नर्मदा परियोजना से नसीब नहीं हो पाई। यह स्थिति नर्मदा केनाल की 1793 किमी केनाल में जगह जगह नुकसान की वजह से बनी है। केनाल को इतना अधिक नुकसान हुआ कि पिछले चार माह से सप्लाई पूरी तरह से बंद है। यही नहीं सबकुछ ठीक भी रहता है तो अभी कम से कम 4 माह का समय केनाल मरम्मत में लग सकता है। इधर, किसान इन हालातों से परेशान है और नर्मदा परियोजना से जुड़ी केनाल और वितरिकाओं के मरम्मत का इंतजार कर रहे हैं। इधर, इस साल रबी की सिंचाई में पिछले साल की तुलना में 10 हजार से अधिक हैक्टेयर के इजाके साथ लक्ष्य 3 लाख 48 हजार हेक्टेयर है, लेकिन विभाग यह जरुर मान रहा है कि मिट्टी का कटाव और केनाल से पानी नहीं मिलने से लक्ष्य जरुर प्रभावित होगा।
1400 क्यूसेक रोजाना मिलता था पानी
नर्मदा परियोजना से सबसे अधिक फायदा जालोर जिले के सांचौर के कृषि क्षेत्र को होता था। एक तरफ परियोजना से पेयजल भी उपलब्ध हो रहा था। वहीं प्रतिदिन मिल रहे 1400 क्यूसेक पानी से किसान सिंचाई भी कर रहे थे। इधर, नर्मदा परियोजना से ही जालोर को पेयजल भी उपलब्ध हो रहा था, लेकिन फिलहाल पूरा सिस्टम गड़बड़ा गया है और न तो सिंचाई के लिए ना ही पेयजल के लिए पानी मुहैया हो पा रहा है। परियोजना के शुरू होने के बाद इस साल सबसे बदतर हालात बने हैं।
दो स्तर पर हुए टेंडर
नर्मदा परियोजना पर काफी बड़ा क्षेत्र निर्भर करता है। नुकसान के बाद पांच सदस्यीय कमेटी ने नुकसान का आकलन कर कलक्टर को रिपोर्ट भेजी। इसके बाद प्रभावित क्षेत्रों में दो स्तर पर टेंडर और फिर वर्कऑर्डर हुए। पहले स्तर में बाढ़ से प्रभावित नर्मदा मुख्य केनाल, सांचौर लिफ्ट केनाल, भदरई लिफ्ट, भीमगुड़ा, रतौड़ा हैड रीच, बालेरा हैड रीच, जेसला, वांक और इसरोल के लिए टेंडर और उसके बाद वर्कऑर्डर हो चुके हैं।
दूसरे स्तर पर इनके टेंडर हुए
बाढ़ के कारण नर्मदा परियोजना में काफी बड़ा क्षेत्र ऐस भी था तो पानी के बहार से क्षतिग्रस्त हुआ या डूब गया। चार माह में अब इन क्षेत्रों में भी पानी सूखा है। ऐसे में इन क्षेत्रों में मरम्मत के लिए भी अब टेंडर हो गए हैं। बारिश के दौरान पानी के भराव और बहाव से मुख्य रूप से नेहड़ क्षेत्र में रतौड़ा, शिवपुरा, सांकरया, सुराचंद, अगवाड़ा, मानकी, रतौड़ा की टेल, बोलरा की टेल क्षेत्र डूब गए थे।
तो मिलेगी राहत
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट की मरम्मत के लिए तेज गति से काम चल रहा है और इन प्रोजेक्ट की मरम्मत की समयावधि मार्च 2018 है। यदि प्रोजेक्ट के क्षतिग्रस्त भागों की मरम्मत के बाद अपे्रल माह में पानी की सप्लाई शुरू हो जाती है तो जिलेवासियों को भी राहत मिलेगी और समय पर पेयजल मुहैया हो सकेगा। यदि इसमें देरी हुई तो शहर में गर्मी के मौसम में पेयजल के लिए पर्याप्त पानी मुहैया नहीं हो पाएगा।
इनका कहना
इस साल पिछले साल की तुलना में रबी बुवाई का लक्ष्य अधिक है, लेकिन बारिश से सांचौर और नेहड़ क्षेत्र में मिट्टी का कटाव होने तथा केनाल में पानी बंद होने से इस एरिया में बुवाई जरुर प्रभावित होगी।
– बीएल पाटीदार, उप निदेशक, कृषि विस्तार
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