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Rakshabandhan Special: यूपी के इस टूरिस्ट स्पॉट पर भाई-बहन बन जाते हैं पति-पत्नी, 132 साल से निभाई जा रही परंपरा

Rakshabandhan Special: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में एक टूरिस्ट स्पॉट ऐसा है। जहां भाई-बहन का एक साथ प्रवेश वर्जित है। अगर भाई-बहन यहां एक साथ पहुंचते हैं तो वह पति-पत्नी बन जाते हैं। इसके पीछे की कहानी बड़ी रोचक है।

जालौनAug 19, 2024 / 02:26 pm

Vishnu Bajpai

Rakshabandhan Special: यूपी के इस टूरिस्ट स्पॉट पर भाई-बहन बन जाते हैं पति-पत्नी, 132 साल से निभाई जा रही परंपरा

Rakshabandhan Special: आज सोमवार 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम के रूप में जाना जाता है। रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं। इसके साथ ही भाई अपनी बहन को आजीवन रक्षा का वचन भी देता है। भाई-बहन के इस त्योहार से जुड़ी एक किवदंती कहानी यूपी के बुंदेलखंड से जुड़ी है। दरअसल, बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जालौन जिले में एक ऐसा टूरिस्ट स्पॉट है। जहां भाई-बहन का एक साथ जाना प्रतिबंधित है। माना जाता है कि अगर भाई-बहन यहां एक साथ चले गए तो पति-पत्नी बन जाते हैं। आइए विस्तार से आपको इसके पीछे की कहानी बताते हैं।
यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जालौन जिले में 210 फीट ऊंची इमारत में लंका के राजा रावण का पूरा परिवार रहता है। इतना ही नहीं, यहां भगवान शिव का मंदिर है और चित्रगुप्‍त समेत तमाम देवी देवताओं की ऊंची प्रतिमाएं भी हैं। दिल्ली की कुतुबमीनार के बाद यह इमारत ऊंचाई के मामले में देश में दूसरे स्‍थान पर आती है। चूंकि यहां लंका के राजा रावण के पूरे परिवार की प्रतिमाएं हैं। इसलिए इसे लंका मीनार कहा जाता है।

लंका मीनार की मान्यताओं को जानकार चौंक जाएंगे आप

वरिष्ठ इतिहासकार अशोक कुमार बताते हैं “पहले तो यह इमारत सिर्फ एक मीनार के रूप में जानी जाती थी, लेकिन अपनी अजीब मान्यताओं के चलते अब यह बुंदेलखंड का बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बन चुकी है। यहां रोजाना सैकड़ों देशी और विदेशी मेहमानों का आवागमन रहता है। इस मीनार के ऊपर पहुंचने के लिए सात चक्कर में सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इसलि‌ए यहां भाई-बहन का एक साथ जाना प्रतिबंधित है। इसके पीछे की मान्यता है कि सनातन धर्म में शादी के दौरान पति-पत्नी सात फेरे लेते हैं। इस मीनार के ऊपर पहुंचने के लिए भी सात फेरे लगाने होते हैं। इसलिए लोग इसे सनातन संस्कृति से जोड़ते हुए इस मान्यता का 132 सालों पालन कर रहे हैं।”
यूपी के इस टूरिस्ट स्पॉट पर भाई-बहन बन जाते हैं पति-पत्नी, 132 साल से निभाई जा रही परंपरा।

भाई-बहन का एक साथ जाने पर क्यों है प्रतिबंध?

स्‍थानीय निवासी गोलू भदौरिया और राकेश कुमार कहते हैं “जालौन के कालपी में स्थित लंका मीनार को लेकर मान्यता है कि मीनार में भाई-बहन एक साथ ऊपर नहीं जा सकते हैं। इसके पीछे की कहानी है ये है कि मीनार के ऊपर जाने के लिए मीनार की सात परिक्रमा करनी पड़ती है। जिसे अगर भाई-बहन एक साथ पूरा करेंगे तो वह पति-पत्नी बन जाएंगे। चूंकि सनातन धर्म में शादी के दौरान पति-पत्नी को सात फेरे लेने होते हैं। इसलिए इस मीनार के ऊपर एक साथ भाई-बहन का जाने पर प्रतिबंध है। इस मान्यता को स्‍थानीय लोगों के साथ ही आसपास के जिला निवासी भी पिछले 132 सालों से निभाते आ रहे हैं।”
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अधिवक्ता मथुरा प्रसाद ने कराया मीनार का निर्माण

दरअसल, जालौन के कालपी में मौजूद 210 फीट ऊंची लंका मीनार का निर्माण वकील बाबू मथुरा प्रसाद निगम ने कराया था। लंका मीनार का निर्माण तत्कालीन प्रसिद्ध शिल्पी रहीम वक्‍श की देखरेख में किया गया था। इसे तैयार होने में 20 साल से ज्यादा का समय लगा था। इस मीनार की खास संरचना की वजह से यहां भाई-बहनों का प्रवेश वर्जित है। दिल्ली के कुतुबमीनार के बाद यही सबसे ऊंची मीनार है। इसका निर्माण कराने वाले बाबू मथुरा प्रसाद रामलीला में रावण की भूमिका निभाते थे। बताया जाता है कि वह रावण से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने कालपी में लंका नाम से ही मीनार का निर्माण करवाया।
Rakshabandhan Special: यूपी के इस टूरिस्ट स्पॉट पर भाई-बहन बन जाते हैं पति-पत्नी, 132 साल से निभाई जा रही परंपरा
यूपी के इस टूरिस्ट स्पॉट पर भाई-बहन बन जाते हैं पति-पत्नी, 132 साल से निभाई जा रही परंपरा

बुंदेलखंड के टूरिस्ट स्पॉट में बदल चुकी है मीनार

बुंदेलखंड के प्रवेश द्वार कालपी में स्थित इस मीनार के अंदर रावण के पूरे परिवार के चित्र बनाए गए हैं। वैसे मीनार ज्यादा बड़ी नहीं है, लेकिन अपनी अजीब मान्यता की वजह से ये जगह एक टूरिस्ट स्पॉट में बदल चुकी है। वहीं, जानकारी के मुताबिक यह मीनार 1857 में मथुरा प्रसाद नामक एक व्यक्ति ने बनवाई थी। मथुरा प्रसाद ने रावण की याद में इस मीनार का निर्माण करवाया था। इसलिए, इसका नाम ‘लंका मीनार’ रखा गया।

रावण परिवार के साथ भगवान शिव और नागदेवता की भी स्‍थापना

यहां कुंभकरण और मेघनाद की बड़ी प्रतिमाएं स्थापित की हैं। कुंभकरण की प्रतिमा 100 फीट ऊंची है। जबकि मेघनाद की प्रतिमा की ऊंचाई 65 फीट है। इतना ही नहीं, यहां भगवान शिव के साथ-साथ चित्रगुप्त की प्रतिमा के साथ 180 फीट लंबी नाग देवता की भी प्रतिमा भी स्‍थापित है। रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। इसलिए बाबू मथुरा प्रसाद ने यहां शिव मंदिर भी स्‍थापित कराया। इस मीनार की ऊंचाई 210 फीट है। उस समय इसे बनवाने में करीब दो लाख रुपये का खर्च आया था।

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