scriptचोरी की घटनाओं से शहर से लेकर गांवों में दहशत, रहवासी मकान चोरों के निशाने पर | There is panic in cities and villages due to incidents of theft, residential houses are the target of thieves | Patrika News
जैसलमेर

चोरी की घटनाओं से शहर से लेकर गांवों में दहशत, रहवासी मकान चोरों के निशाने पर

शांत माने जाने वाले जैसलमेर के शहरी व ग्रामीण इलाके एक बार फिर चोरों व नकबजनों के निशाने पर है।

जैसलमेरJan 10, 2025 / 08:45 pm

Deepak Vyas

jsm news
केस 1. 29 दिसम्बर : जैसलमेर के शारदा पाड़ा क्षेत्र में शाम 5.30 से 7.30 बजे के बीच एक रहवासी मकान के ताले तोड़ कर अज्ञात चोरों ने करीब 8 तोला सोने के जेवरात व लगभग 40 हजार रुपए चुरा लिए।
केस 2. 6 जनवरी : जिले के मोहनगढ़ गांव के लोहिया मोहल्ला में एक ही रात में अज्ञात चोरों ने घर में घुस कर चोरी की वारदात को अंजाम दे दिया। इसी इलाके से एक घर के बाहर खड़ी बाइक भी उड़ा ले गए।
केस 3. 8 जनवरी : जिले के रामगढ़ गांव में बजरंग मोहल्ले के 4 घरों के ताले तोड़ कर चोर हजारों की नगदी व अन्य सामान चुरा ले गए। वहीं सुथार मोहल्ले में चोरों ने 30 लाख रुपए के गहने चुरा लिए।
केस 4. 14 दिसम्बर : फलसूंड थाना क्षेत्र के भीखोड़ाई गांव में चोरों ने आधा दर्जन घरों के ताले तोड़े और वहां से जेवरात व नकदी आदि चुरा ले गए।
शांत माने जाने वाले जैसलमेर के शहरी व ग्रामीण इलाके एक बार फिर चोरों व नकबजनों के निशाने पर है। पुलिस तंत्र की व्यवस्था को चुनौती देने वाली इन घटनाओं से लोगों में भय का वातावरण बन रहा है, दूसरी तरफ पुलिस की गश्त व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। पूर्व के वर्षों में भी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से 200 से ज्यादा दुपहिया वाहनों की चोरी की वारदातें घटित हो चुकी है और अंगुलियों में गिनने लायक वारदातों का खुलासा ही पुलिस कर पाई।

हकीकत: जिले में बाहरी लोगों की भरमार

  • पिछले कुछ वर्षों के दौरान जैसलमेर जिले में बाहरी लोगों की भरमार हो गई है। नहरी क्षेत्रों में मुरब्बों पर काश्त कार्य करने से लेकर शहरी इलाके में स्थित उद्योगों व सरकारी-गैर सरकारी निर्माण कार्यों पर मजदूरी का काम करने वाले बाहरी जिलों और राज्यों की आबादी हजारों की संख्या में हैं।
  • उनके सत्यापन की प्रक्रिया लचर है। इस संबंध में एक तरफ पुलिस ज्यादा सावचेत दिखाई नहीं देती दूसरी ओर स्थानीय लोग जो बाहरी व्यक्तियों को काम पर रखते हैं या किराये पर मकान देते हैं, वे भी इसकी सूचना पुलिस तक नहीं पहुंचाते।
  • हकीकत है कि मांग की तुलना में जैसलमेर जिले के बमुश्किल 30-40 प्रतिशत मूल निवासी ही मजदूरी कार्य कर रहे हैं। शेष मजदूरों की पूर्ति बाहरी लोगों के रूप में ही होती है।
  • पुलिस की रात्रिकालीन गश्त व्यवस्था शहर में भी खास स्थानों तक सीमित रहती है। होमगाड्र्स भी हर जगह तैनात नहीं हैं।
  • चोरी की लगातार घटित हो रही वारदातों के बावजूद पुलिस को कई बार सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं हो पाते। अभय कमांड के कैमरे भी कई बार अक्षम साबित हो चुके हैं।
  • तथ्य है कि कई मामलों में सीसीटीवी फुटेज होने के बावजूद पुलिस चोरों तक नहीं पहुंच सकी है।
  • पुलिस ने गत वर्ष रिकॉर्ड रिकवरी की
  • जैसलमेर जिले में कहीं भी चोरी की वारदात होने पर पुलिस तत्परता से कार्रवाई करती है। पिछले वर्ष जिला पुलिस ने चोरी के मामलों में रिकॉर्ड रिकवरी की। हाल में रामगढ़ में हुई चोरी की वारदात का खुलासा करने के लिए टीम गठित की गई है और वह अनुसंधान में जुट गई है। गत वर्ष भी सभी बड़ी चोरी की वारदातों का खुलासा किया गया। आमजन की सम्पत्ति की सुरक्षा पुलिस की प्राथमिकता में शामिल है।
  • – सुधीर चौधरी, पुलिस अधीक्षक, जैसलमेर

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