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जैसलमेर

दिल के साथ डरा रहा दिमाग का रोग, हर माह 600 बीमार

-मानसिक बीमारी से पीडि़त लोगों में किशोर व युवा वर्ग भी शामिल – मस्तिष्क के रासायनिक बदलाव के कारण पनप रही बीमारियां
 

जैसलमेरOct 10, 2022 / 07:44 pm

Deepak Vyas

दिल के साथ डरा रहा दिमाग का रोग, हर माह 600 बीमार

दिल के साथ डरा रहा दिमाग का रोग, हर माह 600 बीमार

-दीपक व्यास
जैसलमेर. दिल के साथ साथ जिले में बढ़ते दिमाग के रोग ने चिंता बढ़ा दी है। यहां जवाहर अस्पताल में हर दिन औसतन 20 मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। जैसलमेर में इन दिनों मिरगी, अनिद्रा, डिप्रेशन, सिजोफिनिया, एमडीपी, आरजेबसन फोबिना व डिप्रेसिव पाइक्सामिम से संबंधित मानसिक रोगी अधिक सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना के बाद डिप्रेशन के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहेे हैं। पारिवारिक माहौल, बेरोजगारी व भविष्य में कुछ न कर पाने की भावना आ जाने, बढ़ता तनाव, अवसाद, बदलती जीवन शैली और बढ़ती नशा प्रवृत्ति से मानसिक बीमारियों के मरीज बढऩे की निराशाजनक स्थिति बन रही है।
ऐसे पहचाने मानसिक रोग को
-मानसिक बीमारियों में देर रात तक नींद न आना, अकेले में गुमसुम रहना व आवश्यकता से अधिक बोलना।
-जीवन में गुजर चुके अच्छे दिनों को याद कर दु:खी रहना
-किसी एक व्यक्ति या कार्य से चिड़चिड़ापन दिखाना, अकेले में खुद से काफी देर तक बात करना
-देवी या देवता के रुप में बोलना, बैचेनी होना या किसी कार्य में मन न लगना।
-पारिवारिक सदस्यों या स्टाफ से सामान्य बात पर झगडऩा।
आंकड़ों की जुबानी
मनोरोग विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2018 तक जैसलमेर जिले के 2 हजार लोग चिकित्सकीय उपचार करवा रहे थे। वर्ष 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 5 हजार यानी 60 फीसदी बढ़ गई। वर्ष 2021-22 में इनकी संख्या लगभग 7 हजार 200 तक पहुंच चुकी है।
एक्सपर्ट व्यू: असाध्य नहीं है मनोरोग
कनिष्ठ विशेषज्ञ मनोरोग एवं नशामुक्ति व जैसलमेर में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र महरड़ा बताते हैं कि मानसिक रोग कई तरह के होते हैं। इनका कारण मुख्यत मस्तिष्क के रासायनिक बदलाव होना है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार हृदय रोगों के बाद सबसे अधिक मरीज मानसिक बीमारियों से ग्रसित है। मनोरोग से संबंधित बीमारियों वाले मरीजों को योग, व्यायाम व संयमित जीवन शैली अपनाने की जरुरत है। मनोरोग से पीडि़त व्यक्ति मित्रों व परिवारजनों से बात करें, अच्छे पलों के बारे में सोचें, परिवार और बच्चों के बारे में सोचें और मनोचिकित्सक की सलाह लें। जैसलमेर में मोबाइल, इंटरनेट एडिक्शन के मरीज भी सामने आ रहे हैं, इनमें अधिकांशत: किशोर ही होते हैं।

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