जैसलमेर, जो कभी सीमित खेती और खड़ीनों पर निर्भर था, अब जीरा उत्पादन के जरिए कृषि क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। 2024-25 के रबी सीजन में जिले में कुल 4.38 लाख हेक्टेयर में रबी की फसलें बोई गईं, जिसमें से 1.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिर्फ जीरा की फसल के तहत आया। यह जिले की शुष्क जलवायु और अनुकूल मिट्टी का परिणाम है।जैसलमेर का जीरा अपनी गुणवत्ता और दीर्घायु के लिए प्रसिद्ध है। यहां का जीरा बड़े आकार का, वजनदार और खनिजों से भरपूर होता है। वहीं, गुजरात का जीरा छोटा और हल्का होता है। जानकारों के अनुसार जैसलमेर का जीरा 4-5 वर्षों तक खराब नहीं होता, जबकि गुजरात का जीरा एक साल में खराब हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीरा ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 20,000 से अधिक कृषि ट्यूबवैल और 40,000 नहरी मुरब्बों में जीरा की खेती हो रही है, जिससे किसानों को रिकॉर्ड उत्पादन के साथ अच्छा मुनाफा मिल रहा है।
संभावनाएं अपार
जैसलमेर में जीरा उत्पादन किसानों के लिए गेमचेंजर साबित हुआ है। यह न केवल उनकी आय बढ़ा रहा है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं को भी उज्ज्वल कर रहा है।