कोरोना की जंग में ये चिकित्साकर्मी जन स्वास्थ्य की रखवाली का अपना काम तो कर ही रहे हैं, लेकिन साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीज और उनके तीमारदार भूखे न रहे, इसके लिए भामाशाहों के सहयोग से जन रसोई का संचालन कर अनूठी मिसाल भी पेश कर रहे हैं। अस्पताल में गत 22 मार्च से जन रसोई की शुरुआत की गई।
इसके माध्यम से भर्ती मरीजों व उनके परिजनों के अलावा अन्य जरूरतमंदों को नि:शुल्क भोजन करवाया जा रहा है। चिकित्साकर्मी अपनी ड्यूटी करने के बाद शेष समय इस रसोई में खाना पकाने, सब्जी काटने और भोजन का वितरण करने के काम में जुटे हैं।
ऐसे हुई रसोई की शुरुआत गत 22 तारीख को जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉकडाउन के चलते जवाहर चिकित्सालय में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों के सामने भोजन का संकट उत्पन्न हो गया, क्योंकि अस्पताल में एक ट्रस्ट की ओर से की जा रही भोजन व्यवस्था ठप हो गई थी। कुछ संवेदनशील चिकित्साकर्मियों ने इस संबंध अपने स्टाफ से बात कर कुछ राशि जुटा कर जन रसोई को शुरू कर भर्ती मरीजों के लिए भोजनशाला का इंतजाम किया।
भामाशाहों का सहयोग मिलने से यहां सुबह के नाश्ते से लेकर रात्रिकालीन भोजन की व्यवस्था हुई तथा प्रतिदिन 100 से 150 जनों का खाना यहां पर बन रहा है। गुणवत्ता पर खास ध्यान इस रसोई से मुहैया करवाए जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
उत्तम गुणवत्ता वाले घी-तेल का उपयोग किया जा रहा है। तेल से तली पुडिय़ों के साथ मरीजों आदि के लिए देसी घी की रोटियां बनाई जा रही हैं तथा सब्जी भी बदल-बदल कर परोसी जा रही है। साफ सफाई के अलावा यहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
जो मेडिकल स्टाफ पूरे दिन आइसोलेशन वार्ड में तैनात हैं उन्हें भी यहीं से भोजन पहुंचाया जा रहा है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीके वर्मा भोजनशाला की व्यवस्थाओं का पूर्ण ध्यान रखते हैं। डॉ. संजय व्यास भी आर्थिक सहयोग देने के साथ यहां आकर समय-समय पर अपनी सेवाएं देते हैं।
रोटियां बेलने के काम में लैब स्टाफ आगे आकर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इनमें कैलाश छंगाणी, प्रकाश परिहार, सोफिया पुरोहित, विमला, भावना, धुड़े खां प्रमुख हैं। उनके अलावा अन्य नर्सिंग स्टाफ भी भोजन परोसने से लेकर मरीजों तक भोजन पहुंचाने में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।