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जैसलमेर

Big Issue: रंगीन शेडों से बदरंग हो रही स्वर्णनगरी की सुनहरी आभा

स्वर्णनगरी की सुनहरी आभा और वास्तुकला सदियों से पर्यटकों को आकर्षित करती आई है, लेकिन, मौजूदा समय में रंग-बिरंगे भवनों और छतों पर लगे टिन शेड्स ने शहर की इस सुंदरता को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।

जैसलमेरJul 25, 2024 / 08:43 pm

Deepak Vyas

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स्वर्णनगरी की सुनहरी आभा और वास्तुकला सदियों से पर्यटकों को आकर्षित करती आई है, लेकिन, मौजूदा समय में रंग-बिरंगे भवनों और छतों पर लगे टिन शेड्स ने शहर की इस सुंदरता को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। हालांकि जैसलमेर की ऐतिहासिक और सुनहरी आभा को विकृत करने वाले रंगीन शेडों को हटाने के लिए नगरपरिषद की ओर से जारी किए गए अल्टीमेटम का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। गौरतलब है कि नगरपरिषद आयुक्त लजपालसिंह की ओर से सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, होटलों, रेस्टोरेंट्स एवं आवासीय भवनों के मालिकों को जारी किए गए निर्देश के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में शहर के कई व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, होटलों, रेस्टोरेंट्स एवं आवासीय भवनों की छतों पर लगाए गए आसमानी और विभिन्न रंगों के शेड इस सुंदरता को विकृत कर रहे हैं।

15 दिन का समय, लेकिन स्थिति जस की तस

नगरपरिषद आयुक्त लजपालसिंह ने सभी भवन मालिकों को निर्देश दिया था कि वे अपने छतों पर लगे रंगीन शेडों को जैसलमेर शैली के सुनहरे पीले रंग से रंग-रोगन करें। इस दौरान आदेश का पालन न करने पर नगरपरिषद की ओर से ऐसे सभी शेडों को जब्त कर करने और कार्रवाई करने की हिदायत दी थी। हकीकत यह है कि आदेश के 15 दिन में से करीब 10 दिन बीत जाने के बाद भी शहर में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है। व्यावसायिक प्रतिष्ठान, होटल और आवासीय भवन अब भी अपने पुराने रंगीन शेडों के साथ ही खड़े हैं।
अपने-अपने तर्क
पर्यटन से जुड़े लोगों व स्थानीय बाशिंदों की मानें तो नगरपरिषद की सख्ती केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है और जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। स्थानीय निवासी अशोक कुमार बताते हैं कि यह बहुत निराशाजनक है कि चेतावनी का असर नहीें हो रहा है, वहीं जैसलमेर की सुंदरता को नुकसान हो रहा है। उधर, कुछ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के मालिकों का कहना है कि उन्हें शेड बदलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है। एक होटल मालिक ने कहा हमें आदेश का पालन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। नगरपरिषद को इसे लागू करने के लिए बेहतर तरीके से काम करना चाहिए था।

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