प्रधानाचार्य व व्याख्याताओं : पदों की संख्या और स्थिति
जिले में प्रधानाचार्यों के स्वीकृत 229 पदों में से केवल 60 पद ही भरे गए हैं। इसी तरह अंग्रेजी अनिवार्य के 35 में से 26 पद भरे हुए हैं। विज्ञान वर्ग में भौतिक विज्ञान के 21 में से केवल 6 पद ही भरे हैं। इसके अलावा रसायन विभाग के 21 में से 10 व जीवन विज्ञान के 20 में से 13 पद भरे हैं। राजनीतिक विज्ञान के 143 में से 86, इतिहास के 138 में से 83, भूगोल के 38 में से 17 पद भरे हंै। इसी तरह हिन्दी साहित्य के 116 में से 98 पद भरे हुए हैं। शिक्षक न होने के कारण विद्यार्थियों को स्व अध्ययन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
यहां भी यही कहानी
सरकारी विद्यालयों में वरिष्ठ अध्यापकों के पद भी अभी तक खाली है। हिन्दी विषय के 274 स्वीकृत पदों में से 179, अंग्रेजी के 258 पदों में से 123, विज्ञान विषय के 264 में से 101, गणित विषय के 271 में से 86 पद, सामाजिक विज्ञान विषय के 300 पदों में से 169, संस्कृत विषय के 267 पदों में से 78, हिन्दी लेवल 2 के 285 पदों में से 229, अंग्रेजी लेवल 2 के 491 पदों में से 350, गणित-विज्ञान लेवल 2 के 410 पदों में से 309, सामाजिक विज्ञान लेवल 2 में 317 में से 288 पद ही भरे हुए है। ऐसे में रिक्त पदों के कारण शिक्षण व्यवस्था का अनुमान लगाया जा सकता है। जिले में कुल 8859 पदों में से 6190 पद ही भरे हुए है।
चिंतित अभिभावक भी
अभिभावकों राकेश कुमार बताते हैं कि स्कूलों में रिक्त पदों का असर उनके बच्चों के भविष्य पर पडऩे की आशंका है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां पहले से ही शिक्षा का स्तर निम्न था और अब यह समस्या और बढ़ गई है। उधर, शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का तर्क है कि इस समस्या को सुलझाने के लिए प्रयास कर रहे हें।