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विश्व की पहली होम्योपैथी यूनिवर्सिटी जयपुर में, लेकिन फिर भी होम्योपैथी को नहीं मिला बढ़ावा

विश्व होम्योपैथी दिवस आज

जयपुरApr 10, 2022 / 11:32 am

HIMANSHU SHARMA

जयपुर

किसी भी बीमारी को ठीक करना हो तो कडवी, कसैली दवाओं और दर्दीले इंजेक्शनों से कहीं बेहतर हैं कि होम्योपैथी की मीठी-मीठी गोलियों से उपचार किया जाए। होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली की शुरुआत जर्मनी में हुई पर यह फली-फूली भारत में

भारत में वैसे तो कई होमियोपैथी कॉलेज हैं लेकिन अब भारत के गुलाबी नगर जयपुर में दुनिया का पहला होम्योपैथी विश्वविद्यालय शुरू हो गया है। लेकिन राजस्थान में विश्वविद्यालय होने के बाद भी इस चिकित्सा पद्धति को यहां बढ़ावा नहीं मिल सका है। आज डॉ. सैमुअल हैनिमैन जयंती हैं। और इस अवसर पर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जा रहा है।

राजस्थान में 303 होम्योपैथी डॉक्टर्स के पद
ऐसे तो प्रदेश में एक भी होम्योपैथी चिकित्सक का पद खाली नहीं है। प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से 303 पद रखे गए हैं जिन पर सभी पर नियुक्ति दी जा चुकी है। लेकिन होम्योपैथिक चिकित्सकों का मानना है कि यह ऊंट के मुंह में जीरा है।

राजस्थान में हर साल 840 डॉक्टर होम्योपैथी चिकित्सा की डिग्री लेकर डॉक्टर बनते हैं। प्रदेश में एक विश्वविद्यालय सहित कुल 11 कॉलेज है जिनमें से 2 सरकारी कॉलेज है। जबकि विश्व में चिकित्सा क्षेत्र में एलोपैथी के बाद इस चिकित्सा पद्धति को दूसरी बड़ी चिकित्सा पद्धति माना गया है।

लेकिन फिर भी पूरे राजस्थान प्रदेश में केवल 303 ही होम्योपैथी के राजकीय चिकित्सालय संचालित है। जबकि राजस्थान से आगे बंगाल बिहार और यूपी है जहां पर 15 सौ से 25 सौ से अधिक प्रति राज्य में होम्योपैथी चिकित्सालय संचालित है।

प्रदेश भर में 10 हजार से अधिक होम्योपैथी चिकित्सक
पूरे राजस्थान की बात करें तो प्रदेश भर में 10 हजार से ज्यादा होम्योपैथिक चिकित्सक है। सरकार की ओर से पद नहीं बढ़ाए जाने के कारण यह लोग बेरोजगारी झेल रहे हैं। प्रदेश की जनता को भी होम्योपैथिक चिकित्सा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस चिकित्सा पद्धति का प्रचार प्रसार नहीं होने और चिकित्सकों का अभाव होने के कारण आम जनता भी इस पद्धति कम निर्भर होकर एलोपैथी पद्धति पर निर्भर है।

हालांकि होम्योपैथी निदेशालय ने राज्य सरकार को 656 पदों पर चिकित्सकों की भर्ती करने को लेकर प्रस्ताव भिजवा दिया है। लेकिन इसे सरकार से मंजूरी नहीं मिली है। प्रस्ताव के अनुसार उप जिला चिकित्सालय, सेटेलाइट अस्पताल और सीएससी में होम्योपैथी चिकित्सक का एक-एक पद मांगा गया है। लेकिन अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई मंजूरी नहीं मिल पाई है।
राजस्थान होम्योपैथी चिकित्सा संघर्ष समिति के डॉ.राजेश ने बताया कि अगर सरकार पदों पर भर्ती को मंजूरी देती है तो प्रदेश में होम्योपैथी चिकित्सा को बढ़ावा मिलेगा और आमजन की सेहत को भी लाभ पहुंचेगा।

होम्योपैथी पर लोग जता रहे है भरोसा

होम्योपैथी पर अब लोगों का भरोसा बढऩे लगा है। लगातार रिसर्च को बढ़ावा देने से लोगों का भरोसा बढ़ा हैं। कोई साइड इफेक्ट ना होने के कारण कई बीमारियों में लोग केवल होम्योपैथी दवाइयां को प्राथमिता देने लगे हैं। पथरी, स्किन, एलर्जी से लेकर फ्लू की शिकायत लेकर भी लोग होम्योपैथ डॉक्टर के पास जाने लगे हैं।

20 प्रतिशत तक बढ़े मरीज
चिकित्सा अधिकारी आयुष, होम्योपैथ, डॉ. लेखराम गुर्जर का कहना है कि होम्योपैथ से इलाज लेने वालों की संख्या 20 फीसदी तक बढ़ी है। इस पद्धति में कोरोना महामारी से बचाव के लिए बेहतरीन इम्युनिटी बूस्टर हैं। माइग्रेन, डायरिया, या कमजोरी के लिए भी लोग होम्योपैथ का इलाज लेने आ रहे हैं। सर्दी, जुकाम, फ्लू के लिए भी लोग होम्योपैथ का रुख कर रहे हैं।

होम्योपैथ चिकित्सक डॉ.अशोक सिंह का कहना है कि थोड़ी जागरूकता की कमी है, जबकि होम्योपैथ में हर रोग का इलाज है। हर बीमारी को लेकर प्रकृति के नियमों पर आधारित इलाज दिया जाता है और यह इलाज बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।

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