scriptwheat and atta: नहीं थम रहे गेहूं और आटे के दाम, सरकार के कड़े प्रयास भी विफल…जानिए क्यों | Wheat-flour prices are not stopping, even the hardest efforts of the government fail... know why | Patrika News
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wheat and atta: नहीं थम रहे गेहूं और आटे के दाम, सरकार के कड़े प्रयास भी विफल…जानिए क्यों

सरकार के कड़े प्रयासों के बावजूद गेहूं और आटे की औसत खुदरा कीमतों में पिछले एक साल के दौरान भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। व्यापारियों के अनुसार, कम आपूर्ति और मजबूत मांग के कारण गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड 2600 रुपए प्रति क्विंटल के पार चली गई है।

जयपुरOct 09, 2022 / 12:48 pm

Narendra Singh Solanki

wheat and atta: नहीं थम रहे गेहूं—आटे के दाम, सरकार के कड़े प्रयास भी विफल...जानिए क्यों

wheat and atta: नहीं थम रहे गेहूं—आटे के दाम, सरकार के कड़े प्रयास भी विफल…जानिए क्यों

सरकार के कड़े प्रयासों के बावजूद गेहूं और आटे की औसत खुदरा कीमतों में पिछले एक साल के दौरान भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। व्यापारियों के अनुसार, कम आपूर्ति और मजबूत मांग के कारण गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड 2600 रुपए प्रति क्विंटल के पार चली गई है। भीषण गर्मी के कारण इस साल गेहूं का उत्पादन कम हुआ, जिससे कृषि उपज की घरेलू आपूर्ति प्रभावित हुई। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। मौजूदा समय में गेहूं की कीमत 2600 रुपए प्रति क्विंटल के पार चली गई है। इस त्योहारी सीजन में आने वाले दिनों में कीमतों में और तेजी की संभावना है।
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निर्यात पर प्रतिबंध का भी नहीं मिल रहा फायदा
14 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से मंडी की कीमतें तेज चल रही थी। इस साल उत्पादन कम रहा और सरकार ने सही समय पर निर्यात बंद नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने तक बहुत सारा गेहूं पहले ही निर्यात हो चुका था। यह पहले किया जाना चाहिए था।’ कारोबारियों ने कहा कि गेहूं की कीमतों में जहां करीब 14 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं आटे की कीमतों में करीब 18 से 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
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इसलिए बढ़ रही है कीमतें
गुप्ता ने कहा कि गेहूं की कीमतों में वृद्धि के कारणों में अंतरराष्ट्रीय मांग-आपूर्ति की स्थिति, वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और यूक्रेन-रूस संघर्ष जैसे विभिन्न कारक शामिल हैं। पिछले दो वर्षो के दौरान एमएसपी वृद्धि के अनुरूप गेहूं और चावल की कीमतें बढ़ी हैं।
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ये उपाय करने होंगे सरकार को
कीमतों के रुझान को ध्यान में रखते हुए, सरकार समय-समय पर घरेलू उपलब्धता बढ़ाए और सस्ती कीमतों पर उपभोक्ताओं के लिए सुलभ बनाने के विभिन्न उपाय करे। कीमतों को कम करने के लिए सरकार स्टॉक सीमा लागू करना, जमाखोरी को रोकने के लिए संस्थाओं द्वारा घोषित स्टॉक की निगरानी के साथ-साथ व्यापार नीति के उपकरणों में आवश्यक परिवर्तन जैसे आयात शुल्क का समीकरण, आयात कोटा में परिवर्तन, वस्तु के निर्यात पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाए।
https://youtu.be/47TykMjSf5U

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