यूं तो पाली जिले के ये अधिवक्ता विद्यार्थी परिषद व भाजपा से भी जुड़े रहे हैं। पाली शहर में डबल नहीं बल्कि त्रिपल इंजन की सरकार है। पाली हाल ही में नगर निगम बना है। यहां भाजपा का ही बोर्ड है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ भी पाली जिले से ही है। इतना ही नहीं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा भी पाली जिला प्रभारी हैं। जब कोई सुनने वाला ही नहीं बचा तो इन अधिवक्ता को व्यंग्य की शैली में जिला कलक्टर को पत्र लिखना पड़ा।
अधिवक्ता निखिल व्यास ने कई बार ज्ञापन दे दिए। लेकिन जिला प्रशासन सुनता ही नहीं है। इस कारण मेल के माध्यम से एक व्यंग्य में शहरवासियों को पीड़ा को लिख डाला। क्या पता यही भाषा ही जिला प्रशासन के कानों तक पहुंच पाए। पत्र में लिखा कि ” गढ्ढों वाली सडक़ पर चलते समय एडवेंचर का आनंद ले रहे हैं। गढ्ढों के बीच में से कुछ-कुछ सड़क दिखाई देती है। इन्हें आप हटवा लें। ताकि एडवेंचर का पूरा आनंद ले सकें। जब गाड़ी के टायर उनमें डूबते हैं, तो लगता है जैसे हम किसी रोलर कॉस्टर की राइड ले रहे हो। लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब इन प्यारे गड्ढों के बीच में अचानक से सडक़ आ जाती है। ये सडक़ गड्ढों के साथ इस अनूठे अनुभव को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। कृपया इस बीच में आने वाली सडक़ को हटवाने की कृपा करें, ताकि हम निर्बाध रूप से अपने गड्ढों में रोलर कॉस्टर यात्रा का आनंद ले सकें। “