वहीं, क्षत्रिय युवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक और प्रताप फाउंडेशन के संयोजक महावीर सिंह सरवड़ी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत वंश से हैं। मामले में जातिद्वेष न फैलाया जाए बल्कि देश के विकास की ओर ध्यान दिया जाए। चौहान के पिता गुर्जराधिपति थे। उन्होंने राजस्थान के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र में राज किया। इसका यह अर्थ नहीं कि वह गुर्जर हैं। उन्होंने प्रदेश में राज किया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक राजेन्द्र सिंह नरूका ने कहा कि जिस महाकाव्य पृथ्वीराज विजय का जिक्र इतिहासकार कर रहे हैं, वह तर्कहीन है। इतिहास के काल खंड में मौर्य काल के बाद शुंगकाल, फिर गुप्त काल और उसके बाद राजपूत काल का जिक्र है जो कि सम्राट हर्षवर्धन बैश से शुरू होकर सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तराइन के द्वितीय युद्ध की पराजय (1192) पर समाप्त होता है। सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर को गुर्जर नरेश इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो गुर्जर देश (वर्तमान गुजरात) के नरेश अपने नाना के स्थान पर बने थे।