मंगलवार को विभिन्न मंडियों में प्याज के दाम 65 से 80 रुपये प्रति किलो, टमाटर के दाम 70 से 80 रुपये प्रति किलो और लहसुन के दाम 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। सितंबर की शुरुआत से इन आवश्यक वस्तुओं के दाम दोगुने होने से घरेलू बजट प्रभावित हो रहा है।
गृहिणियों का कहना है कि प्याज, लहसुन और टमाटर की कीमतों में उछाल के कारण रोजमर्रा के पकवानों का स्वाद फीका पड़ गया है। पहले जहां एक किलो प्याज खरीदा जाता था, अब आधा किलो से ही काम चलाना पड़ रहा है। दाल का स्वाद तड़का लगाए बिना अधूरा रह जाता है।
लहसुन और टमाटर की स्थिति जयपुर फल-सब्जी थोक विक्रेता संघ के अध्यक्ष योगेश तंवर और महामंत्री देवेंद्र जैन ने बताया कि लहसुन का पुराना स्टॉक समाप्त हो चुका है और कई राज्यों में तेज गर्मी और बारिश से फसल को नुकसान हुआ है। अभी ज्यादातर लहसुन मध्यप्रदेश और कोटा से ही आ रहा है। दिसंबर के बाद नई फसल आने पर ही कीमतें कम होंगी।
टमाटर की पैदावार भी कई राज्यों में कम हो रही है, खासकर दक्षिण भारत में। औरंगाबाद और नासिक से ही फिलहाल टमाटर आ रहे हैं, जबकि अन्य जगहों पर बारिश ने फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है।
महंगाई के पीछे की वजहें
मुहाना आलू संघ मुहाना मंडी के अध्यक्ष शिवशंकर शर्मा के अनुसार, पुराने प्याज का स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो चुका है। इसलिए नई फसल पर निर्भर रहना पड़ रहा है। अलवर तथा झालावाड़ में बारिश के कारण फसल खराब हो गई है। एक्सपोर्ट ड्यूटी कम होने से भी कीमतों में तेजी आई है। हालांकि, अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से प्रदेश के विभिन्न जिलों, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से नई फसल की आवक होने से कीमतें कम होने की उम्मीद है।
मुनाफाखोरी का असर
मुहाना मंडी में मंगलवार को प्याज के थोक दाम 40 से 48 रुपये प्रति किलो, टमाटर 40 से 42 रुपये और लहसुन 200 से 300 रुपये प्रति किलो रहे। शहर की विभिन्न मंडियों में प्याज 65 से 80 रुपये, टमाटर 70 से 80 रुपये और लहसुन 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। ठेले वाले इन कीमतों पर 15 से 50 प्रतिशत ज्यादा वसूल रहे हैं। प्याज की खपत घटी
शहर के कई रिटेल स्टोर्स में पहले रोजाना करीब 150 किलो प्याज की बिक्री होती थी, जो अब घटकर 60-70 किलो रह गई है। होटल्स में ग्रीन सलाद में अब प्याज की जगह खीरा परोसा जा रहा है।