scriptराजस्थान में पहली बार मिले विलुप्त नदी के साथ श्रीकृष्ण के समय के बर्तन व औजार | Utensils and tools from the time of Lord Krishna found along the extinct river Rajas | Patrika News
जयपुर

राजस्थान में पहली बार मिले विलुप्त नदी के साथ श्रीकृष्ण के समय के बर्तन व औजार

Sri Krishna : गोवर्धन गिरिराजजी से महज 6 किलोमीटर दूर विलुप्त हो चुकी नदी के साथ महाभारत काल की मृदभांड संस्कृति (हस्तिनापुर) के प्रमाण मिले हैं।

जयपुरJun 25, 2024 / 10:31 am

Supriya Rani

जयपुर. गोवर्धन गिरिराजजी से महज 6 किलोमीटर दूर विलुप्त हो चुकी नदी के साथ महाभारत काल की मृदभांड संस्कृति (हस्तिनापुर) के प्रमाण मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) को यह बड़ी उपलब्धि डीग जिले के बहज गांव में चल रही खुदाई में मिली है।

जमीन से 24 मीटर नीचे नदी का 2 मीटर मोटाई का कंकड़-रेत का जमाव मिला है, वहीं भगवान श्रीकृष्ण के समय के बर्तन और औजार भी मिले हैं। एएसआइ का जयपुर मंडल बहज में उत्खनन कर रहा है। इसमें जो प्रमाण मिले हैं, उसमें मृदभांड संस्कृति का करीब 9 मीटर मोटा जमाव भी मिला है। सूत्रों के अनुसार अब तक खोज में भगवान श्रीकृष्ण के समय के 2 ही प्रमाण उपलब्ध है, इसमें यमुना नदी और गोवर्धन पर्वत शामिल हैं। अब इस उत्खनन में जो प्रमाण मिले है, वे ब्रज क्षेत्र और भगवान श्रीकृष्ण के समय की प्राचीनता को सिद्ध करने में सहायक होंगे। यहां भगवान शिव व मां पार्वती की मिट्टी की अलग-अलग मूर्तियां मिली हैं, जो 3 हजार साल से अधिक पुरानी बताई जा रही है।

खुदाई में मिला यह सब

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बहज उत्खनन में मध्य पाषाण कालीन संस्कृति के भी प्रमाण मिले है। हालांकि अधिकारियों ने इसकी जानकारी देने से मना कर दिया।

एएसआइ ने बहज गांव में 10 जनवरी 2024 से उत्खनन कार्य शुरू किया।
यहां हड्डियों से निर्मित औजार भी मिल चुके हैं, जिसमें सूई के आकार के ऐसे अनूठे औजार शामिल हैं, जो पहले देश में कहीं भी नहीं मिले हैं।

खुदाई में सबसे कुषाण कालीन अवशेष, उसके बाद शुंग कालीन, मौर्य कालीन, महाजनपद कालीन संस्कृति के भी अवशेष मिले हैं।

एएसआइ के अफसरों की मानें तो वर्ष 1973 से 1977 तक जो प्रमाण मिले थे, उसमें मथुरा की प्राचीनता पुरातात्विक तिथि के अनुसार 2600 से 2700 साल वर्ष पूर्व की आंकी गई थी। इस उत्खनन के बाद मथुरा की प्राचीनता 5100 साल पुरानी होने के प्रमाण मिल रहे हैं। पहले उत्खनन में पीजीडब्ल्यू संस्कृति के पात्रों में केवल 5 टुकड़े ही प्राप्त हुए थे और नियमित जमाव मिला नहीं था, जबकि बहज में सैकड़ों मिट्टी के बर्तन मिले हैं, ये भगवान श्रीकृष्ण के समय के बताए जा रहे हैं। कुछ प्रमाण भगवान श्रीकृष्ण के पहले के मानव जीवन के भी बताए जा रहे हैं।

बहज में 10 जनवरी से उत्खनन कार्य चल रहा है, इसमें पुरास्थल के नीचे विश्व में पहली बार पुरातात्विक उत्खनन में विलुप्त नदी के प्रमाण मिले हैं। इसमें विभिन्न प्राचीन संस्कृतियों के ऐसे प्रमाण भी मिले हैं, जो भारतीय पुरातत्व संबंधी अध्ययन को नए आयाम देंगे। – विनय कुमार गुप्ता, अधीक्षण पुरातत्वविद्, एएसआई जयपुर मंडल

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