अब तक केल्क्रिट यूरेनियम ऑस्ट्रेलिया, नामीबिया और कुछ अफ्रीकी देशों के रेगिस्तानी क्षेत्रों में मिला है। विश्व में अभी तक नॉन कन्वेंशनल यूरेनियम केवल 7 फीसदी है। एेसे में अनुमान है कि जोधपुर में मिले भण्डार नॉन कन्वेंशनल यूरेनियम के विश्व में सबसे बड़े भण्डार हैं। देश के परमाणु ऊर्जा ने विभाग ने थार रेगिस्तान में यूरेनियन खोज का कार्य चार वर्ष पूर्व जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग को सौंपा।
विभाग के प्रो. केएल श्रीवास्तव के नेतृत्व में विवि की टीम ने सालावास, फिटकासनी, कांकाणी, दांतेवाड़ा, पोपावास-केरू में सर्वे किया। शहर से 40 किलोमीटर दूर जैसलमेर मार्ग पर आगोलाई और जयपुर रोड पर बिनावास के पास विवि को सफलता मिली। ग्राउण्ड पेनिट्रेटिंग राडार (जीपीआर) की मदद से यहां केल्क्रिट यूरेनियम खोजा गया।
यूरेनियम के यह खण्डार प्राचीन सरस्वती नदी की खत्म हो रही शाखाओं के किनारे पर है। नीओ टेक्टोनिक प्रक्रिया से सरस्वती नदी की धारा उलट गई। जहां इसकी धारा उलट गई, वहां भू-जल सूख गया। उस जगह पर यूरेनियम का निक्षेपण होता गया। यूरेनियम के साथ पोटाश, फास्फोरस और वेनेडियम खनिज भी है।
कहां मिलता है केल्क्रिट यूरेनियम केल्क्रिट यूरेनियम विश्व के उन रेगिस्तान क्षेत्रों में मिलता है जहां चट्टानें होती है और भू-जल भी रहता है। थार मरुस्थल में ग्रेनाइट व रायोलाइट चट्टानों की भरमार है। यहां भू-जल भी अच्छा खासा है। भू-जल के सूखने पर यूरेनियम अवक्षेपित हो जाता है।
जोधपुर में यूरेनियम का कार्नोटाइट अयस्क मिला है। खनन के बाद विभिन्न प्रक्रियाओं से कार्नोटाइट से यूरेनियम अलग किया जाएगा। केल्क्रिट एक सॉफ्ट यूरेनियम है। राष्ट्रपति को रिपोर्ट राष्ट्रपति के निर्देशानुसार यूरेनियम शोध कार्य किया है। केल्क्रिट यूरेनियम की खोज जोधपुर में हुई है। इसके कहां-कितने भण्डार हैं, इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति भवन भिजवा दी गई है। यह गोपनीय मामला है। – प्रो. केएल श्रीवास्तव, भू-विज्ञान विभाग, जेएनवीयू।