जयपुर सहित प्रदेश के 12 कार्यालयों में परिवहन विभाग ने ऑटोमैटिक ट्रायल सिस्टम शुरू किया था। इनमें से जयपुर के जगतपुरा कार्यालय सहित कई में दो करोड़ की लागत से ट्रैक तैयार किए गए। लेकिन निर्माण के दो साल बाद भी ट्रैक को शुरू नहीं किया गया है। इसके पीछे कारण यह रहा कि विभाग ने निजी फर्म को ट्रैक अनुबंध पर दे दिया। इससे लाइसेंस की फीस में बढ़ोतरी हो गई। विवादों में आने के बाद पूरी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अगर यह योजना शुरू हो तो लाइसेंस प्रक्रिया में पारदर्शिता आए।
पहले टेस्ट में यातायात नियमों की पालना करते हुए 8 का अंक बनाना जरूरी होगा।
दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के एच अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पडे़गी।
तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होगी।
चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकनी चाहिए।
रवि जैन, परिवहन आयुक्त