रेल संरक्षा कोष में 20 हजार करोड़ का प्रावधान एलएचबी डिजाइन के डिब्बे वजन में हल्के, उच्च वहन क्षमता, अधिक कोडल आयु, उच्च गति क्षमता और बेहतर संरक्षा विशेषताओं से युक्त हैं। ये भारतीय रेल की परिचालनिक परिस्थतियों को ध्यान में रखते हुए जरूरी संरक्षा विशेषताओं के साथ डिजाइन किए गए हैं। चरणबद्ध तरीके से ट्रेनों में पुराने कोच के स्थान पर नए एलएचबी कोच लगाए जाएंगे। रेल राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि संरक्षा के निर्माण कार्यों के लिए चालू वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष में 20 हजार करोड़ का प्रावधान किया है।
कोटा जंक्शन से गुजरने वाले इंदौर-सराय रोहिल्ला इंटरसिटी, बीकानेर-बिलासपुर एक्सप्रेस कई ट्रेनों के रैक में एलएचबी डिजाइन के को लगाए जा चुके हैं। ट्रेनों में लगने वाले एलएचबी कोच में झटके महसूस नहीं होते। इसके साथ ही हर बोगी में बायो टॉयलेट तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे रेलवे ट्रैक पर गंदगी नहीं फैलती।
एलएचबी डिजाइन को कोचों की खासियत एलएचबी कोच की एवरेज स्पीड 160 से 200 किमी होती है, जबकि आईसीएफ कोच की स्पीड 70 से 140 किमी प्रति घंटा तक होती है। एलएचबी कोच में एंटी टेलीस्कोपिक सिस्टम होता है। जिससे डिब्बे आसानी से पटरी से नहीं उतरते। एलएचबी कोच में ***** ब्रेक सिस्टम होता है, जिससे ट्रेन को जल्दी रोका जा सकता है। कोच का व्हील बेस आईसीएफ कोच के मुकाबले छोटा होता है जो हाई स्पीड होने पर भी रेल को सुरक्षित रखता है। एलएचबी कोच में दो डिब्बों की अलग तरह से कपलिंग की जाती है। जिससे कि दुर्घटना होने पर डिब्बे एक के उपर एक न चढ़ें।