गोल्ड मेडल के साथ इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री
राजस्थान के पाली जिले में 18 जुलाई 1970 को जन्मे अश्विनी वैष्णव का परिवार बाद में जोधपुर में बसा। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई जोधपुर के ही सेंट एंथोनी कान्वेंट से हुई और फिर यहीं के एमबीएम कॉलेज से 1991 में उन्होंने गोल्ड मेडल के साथ इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग में वैष्णव ने एमटेक किया और 1994 में सिविल सर्विसेज एक्जाम में 27 वीं रैंक के साथ ओडिशा काडर के आइएस बने।कमाल के कलक्टर रहे
1999 में ओडिशा में भयंकर तूफान आया था। तब बालासोर में कलक्टर रहते हुए वैष्णव ने आपदा प्रबंधन का शानदार मॉडल पेश कर हजारों लोगों की जान बचाई थी। समय रहते उन्होंने जनता को प्रभावित इलाके से बाहर निकाला था। तब केंद्र की वाजपेयी सरकार तक उनके कार्यों की शोहरत पहुंची थी।![aa](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/Ashwini-Vaishnaw-000.jpg?w=640)
वाजपेयी के करीब आए
ओडिशा में बतौर कलेक्टर अच्छे अफसर की पहचान के कारण 2003 में वाजपेयी के शासनकाल में वैष्णव की नियुक्ति पीएमओ में डिप्टी सेक्रेटरी के रूप में हुई। यहां पीपीपी मोड में कार्य का उनका मॉडल सुर्खियों में रहा। एनडीए सरकार के 2004 में सत्ता से हटने के बाद वैष्णव, अटलजी के प्राइवेट सेक्रेटरी बनकर काम करते रहे। उन्होंने 2008 में अध्ययन अवकाश लेकर अमेरिका के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए की पढ़ाई की और 2009 में आईएएस से वीआरएस लेकर प्राइवेट सेक्टर में चले गए। कुछ कंपनियों में काम का अनुभव लेने के बाद 2012 में उन्होंने दो कंपनियां बनाई जिनकी गुजरात में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट रही।रेलवे और आइटी में अभूतपूर्व कार्य
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में 34 वंदे भारत ट्रेनें चलीं। सिर्फ एक साल में 5,200 किलोमीटर नई पटरियां बिछाने का रिकॉर्ड भी बना, जो स्विट्जरलैंड के पूरे नेटवर्क के बराबर है। पहले जहां 4 किमी प्रतिदिन रेल पटरी बन रही थी, अब 15 किमी प्रतिदिन कार्य हो रहा है। रेलवे के 40 हजार डिब्बों में वंदे भारत तकनीक पर कार्य चल रहा है। आईटी में भी कई काम हुए।चुनौतियां
रेल हादसों को रोकना, खाली पड़े पदों को भरनाट्रेन टिकट वेटिंग सिस्टम खत्म करना
नए आईटी कानूनों का पालन
रेलवे में करीब 11 लाख करोड़ रुपये के निवेश का टारगेट हासिल करना
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