जाम में फंसकर लोगों का व्यवहार बदल रहा है। लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। सुगम यातायात प्रगति की निशानी होती है। सड़कें विकास का आधार होती हैं। जयपुर बसाते समय चौड़ी सड़कें बनाई गई थीं। आज अतिक्रमण की वजह से लोग परकोटा छोड़ रहे हैं। -सुनील कोठारी, संयोजक, म्हारो जयपुर-न्यारो जयपुर
आबादी से ज्यादा वाहन बढ़ रहे हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम अच्छा नहीं है। लो फ्लोर बसें अनप्लान्ड तरीके से उतारी जा रही हैं। इनकी कोई टाइमिंग नहीं है। राजधानी में लोगों की आवाजाही कम हो, इसके लिए सेटेलाइट टाउन विकसित करने होंगे। -बी एल स्वामी, प्रोफेसर, एमएनआइटी
राजधानी में ट्रांसपोर्ट की प्लानिंग नही है। जब कोई दिक्कत होती है तो शॉर्ट टर्म पॉलिसी बनती है। रोड इंफ्रा अधूरा है। डिजाइन सही नहीं है। चौराहों से 100 से 200 मीटर दूरी पर पार्किंग रखी जानी चाहिए। गोपालपुरा बाइपास पर सिर्फ वाहन चल रहे हैं। पैदल और साइकिल के लिए जगह नहीं है। -सुधीर कुमार, रोड सेफ्टी रिसर्चर
परकोटे के बाद अब बाहरी जयपुर में भी पार्किंग की समस्या बढ़ रही है। परकोटे में वाहनों को सीमित करने की जरूरत है। वहीं, बाहरी इलाकों में ये देखना चाहिए कि कितने घरों में गाड़ी के लिए पार्किंग हैं और घर में कितनी गाड़ियां हैं। बड़ा जुर्माना लगाना चाहिए। -भास्कर अग्रवाल, पर्यटन विशेषज्ञ
मैं हवासड़क रोड पर रहता हूं, लेकिन इस क्षेत्र में दिन भर वीवीआइपी मूवमेंट रहता है। घर से मैं समय पर निकलता हूं, लेकिन जाम में फंसने की वजह से हर बार देरी से पहुंचता हूं। पुलिस वीआइपी के आने से करीब 30 मिनट पहले रास्ता बंद कर देती है। -सूरजभान सिंह आमेरा, कर्मचारी नेता
सभी महकमों को मिलकर काम करना पड़ेगा। ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में जो निर्णय हों, वे समय से धरातल पर उतरें। इससे शहरवासियों को फायदा होगा। बढ़ते शहर के हिसाब से ट्रैफिक प्लानिंग को भी विस्तृत रूप से तैयार करने की जरूरत है। -जसबीर सिंह, पूर्व अध्यक्ष, अल्पसंख्यक आयोग
पुलिस का ध्यान चालान पर रहता है। पुलिस को ट्रेनिंग की जरूरत है। इसमें बताना होगा कि उनका मूल काम चालान करना नहीं, बल्कि शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त रखना है। ज्यादातर समय यातायात पुलिस वीआइपी ड्यूटी में व्यस्त रहती है। -ललित सिंह संचौरा, अध्यक्ष, जयपुर व्यापार महासंघ
जाम से शहरवासी त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। शहर के चारों ओर चार बस स्टैंड की योजना को जल्द पूरा करना चाहिए। सैकड़ों बसें शहर में नहीं घुसेंगी तो दबाव कम होगा। -रवि नैय्यर, सामाजिक कार्यकर्ता
शहर के बढ़ते ट्रैफिक पर स्टडी करने की जरूरत है। स्टडी रिपोर्ट के हिसाब से प्लान बनाने की जरूरत है।-पंकज जोशी, पूर्व महापौर
थानों में सील लगाकर पेपर किए बंद, बारहवीं बोर्ड परीक्षा को लेकर जिला प्रशासन सख्त
ट्रैफिक प्लान आगामी 50 वर्ष के लिए बनाना होगा।
गिग वर्कर्स तेजी से बाइक चलाते हैं। इनके लिए भी नियम बनाने की आवश्यकता है।
यातायात का पाठ स्कूलों में भी बच्चों को पढ़ाया जाए।
पीपीपी मोड पर पार्किंग विकसित की जाएं। निगम टैक्स में राहत दे।
राजस्थान विवि के प्रोफेसर राजीव सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सिंह शेखावत, समाजसेवी धनंजय सिंह, राजकुमार अजमेरा, विष्णु जायसवाल, वर्तिका सैन और ज्योति कोठारी, ऑल राजस्थान टूरिस्ट कार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप सिंह महरौली, पूर्व पार्षद विकास कोठारी, महेश ठाकुरिया, समाजसेवी, श्याम सुंदर सैनी, सुनील जैन, मौलाना हसन, राजेश गोयल, गोपेश अग्रवाल, एडवोकेट जुगल किशोर शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए।