केस 1-
सोडिक्या की ढाणी निवासी मोहनलाल चौधरी व उनकी पत्नी सीता ने बताया कि चार बीघा में टमाटर लगाए हैं। टमाटर के भाव 2 रुपए किलो मिल रहे हैं। टमाटर तोड़ने के लिए मजदूरों को बुलाया जाता है उनकी लागत भी नहीं निकल रही है। तेज धूप में खेत में कार्य करते हैं। अच्छी फसल होगी इस उम्मीद के साथ टमाटर बोए थे लेकिन भाव के आगे लाचार हैं।
केस -2
बड़कोलाई निवासी शंकर लाल शर्मा ने बताया कि 5 बीघा में टमाटर लगाए थे। जिनका खर्च एक लाख साठ हजार रुपए आया था। प्रति बीघा में 400 कैरेट का उत्पादन हो रहा है। इस भाव से लागत भी नहीं निकल पा रही है। वहीं ग्वार फली व हरी मिर्च के भाव भी इसी प्रकार औंधे मुंह गिरे पड़े है।
केस-3
गोल्यावाला रोड निवासी महेश बंदावला ने बताया कि दो बीघा में टमाटर लगाए हैं। बच्चों की भांति टमाटर के पौधों की देखभाल की। समय पर दवाइयां दी और जानवरों से बचाया और अच्छी कमाई की उम्मीद में सपने संजोए, लेकिन अब टमाटर का भाव 2 रुपए किलो, ग्वार फली 10 रुपए किलो, हरी मिर्च 8 रुपए किलो मंडी में बिक रही है। किसी भी सब्जी की लागत भी नहीं निकल पा रही है।
अच्छा उत्पादन व भारी आवक से सब्जियां हुई सस्ती
क्षेत्र समेत अनेक स्थानों पर इन सब्जियों का उत्पादन अच्छा हो गया। उत्पादन के लिए सही वातावरण मिल गया जिससे कि मंडियों में भी अच्छी आवक होने लगी, वहीं स्थानीय स्तर पर भी सब्जियां पैदा होने लग गई। जिससे की मंडी में आवक बढ़ गई और सब्जियों का भाव कम मिलना शुरू हो गया। सब्जी के व्यापारी सुरेश बंदावला, रामवतार सैनी, पप्पू चांदीवाल ने बताया कि क्षेत्रीय मंडियों समेत बाहर की मंडियों में भी सब्जी की अच्छी आवक हो गई, जिससे उनकी मांग कम हो गई। मांग कम होने से भाव कम मिलने लगे और भाव कम मिलने से किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है।