प्राकृतिक संपदा से भरपूर
आपको बता दें कि बूंदी जिले का प्रसिद्ध रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य प्राकृतिक संपदा और वन्य जीवों से भरपूर है। ऐसे में यहां टाइगर रिर्जव बनाने की संभावनाएं अच्छी हैं। टाइगर रिर्जव से पहले यहां प्री—बेस बनाने के लिए वन विभाग ने दिल्ली के मथुरा रोड स्थित चिड़ियाघर से तीन दर्जन से ज्यादा चीतल यहां शिफ्ट कर दिए हैं। ऐसे में बूंदी के जंगलों को ही प्रदेश में चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की पूरी तैयारी जोर शोर से चल रही है। इससे पूर्व भी दिल्ली से इस अभयारण्य में सांभर लाए जा चुके हैं।
बाघों के लिए है अनुकूल
दिल्ली चिड़ियाघर से पहले सांभर और अब चीतल आने के बाद रामगढ़ विषधारी अभयारण्य बाघों के अनुकूल हो गया है। ऐसे में वन्यजीव प्रेमियों को जल्द ही यहां से बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। यहां बाघों को शिफ्ट करने के बाद यह प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व अभ्यारण्य बन जाएगा। आपको बता दें कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर सेंचुरी में रणथंभोर से दो बाघों को शिफ्ट करने की इजाजत दे चुका है। रामगढ़ अभ्यारण्य की बात करें तो यह जयपुर से 200 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एक तरफ से रणथम्थौर है और दूसरी तरफ मुकुंदरा टाइगर से जुड़ा हुआ है। यहां नीलगाय, सियार, हिरण, भालू, आईना, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, जंगली बिल्लियां, तेंदुए, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्यजीव मौजूद हैं। यहां वन संपदा प्रचुर मात्रा में है।