मंत्रालय ने सर्वेक्षण में कुल 165 जगह का अवलोकन किया। सर्वेक्षण में निर्धारित रेगिस्तानी क्षेत्र में
बीकानेर, फलौदी, पालनपुर और सूरतगढ़ के कुछ स्थानों पर मिट्टी की नमी मिली। सूरतगढ़ और पालनपुर में कुछ स्थानों पर हरी घास देखी गई, लेकिन टिड्डी की उपस्थिति नहीं मिली।
अल्जीरिया के मध्य सहारा में जरूर टिड्डी के कुछ व्यस्क पाए गए। दक्षिण-पूर्वी ईरान के आंतरिक भाग में तीन स्थानों पर कुछ टिड्डी दल देखे गए। मंत्रालय का मानना है कि भारत-पाकिस्तान में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है। मानसून में वयस्क टिड्डियों की कम संख्या दिखाई देगी।
नहीं हो रहा टिड्डी प्रजनन
सर्वेक्षण में सामने आया कि मरुस्थलीय क्षेत्र में टिड्डी के प्रजनन के लिए परिस्थिति अनुकूल नहीं है। सर्वेक्षण के अनुसार पूर्वानुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले पखवाड़े में भी टिड्डी की गतिविधि नहीं दिखेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत से करीब पांच हजार किमी दूर पूर्वी अफ्रीका में ज्यादातर टिड्डी का हॉट स्पॉट रहता है। इथोपिया, केन्या, सोमालिया, जिबूती और युगांडा में बारिश के मौसम में प्रजजन के बाद इसकी संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है। इसके बाद टिड्डी दल ईरान, सऊदी अरब, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से होता हुआ भारत में प्रवेश कर जाता है।