2. रीजनल पार्क : हरियाली का दायरा बढ़ाने के लिए शहर और बाहरी इलाकों में 6 बड़े रीजनल पार्क विकसित करने के लिए कागजों में जमीन चिन्हित की। किशनबाग, सिलवन पार्क विकसित करने के अलावा कुछ हनीं किया। बाकी के लिए जमीन अवाप्त तक नहीं की जा सकी। केवल सिटी लेवल और कॉलोनी स्तर पर पार्क बनाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली, वह भी कुछ एक इलाकों तक ही सीमित रहा।
3. मास्टर ड्रेनेज, सीवरेज प्लान : सम्पूर्ण शहर का ड्रेनेज व सीवरेज का मास्टर प्लान बनाने काम केवल कागजों में सीमित रहा। जबकि, अध्ययन रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया गया था कि शहर के 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सों में जल भराव हो रहा है, जो गंभीर स्थिति है। इसमें तत्काल सुधार की जरूरत है। इसके बावजूद किश्तों में ही ड्रेनेज नेटवर्क का जाल बिछाने का काम चलता रहा।
4. ट्रेफिक-ट्रांसपोर्ट मोबिलिटी प्लान : सड़क पर वाहनों की बढ़ती संख्या को कंट्रोल करने और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने का यह प्लान भी कागजों में सिमटकर रह गया। इसके लिए सड़कों की 4123 किलोमीटर लम्बाई नापी। वाहनों के कारण सिकुड़ते फुटपाथ और सार्वजनिक परिवहन के गिरते ग्राफ ने चिंता बढ़ा दी।
इन पर भी ध्यान नहीं
-सभी जगह सेक्टर रोड नहीं बनाई गई, जिससे एक इलाके को दूसरे इलाके से जोड़ा नहीं जा सका।
-रिंग रोड की ‘रिंग’ पूरी नहीं की जा सकी है। केवल आगरा रोड से अजमेर रोड के बीच ही रिंग रोड बनाई जा सकी है।
-आबादी क्षेत्र के पास बने औद्योगिक क्षेत्र को दूसरी जगह शिफ्ट करना।