न्यायाधीश गणेश राम मीणा ने राजेश कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता कांस्टेबल को बर्खास्त करने के झालावाड पुलिस अधीक्षक के 19 अक्टूबर, 2000 और गृह विभाग के उप सचिव के 27 जनवरी, 2003 के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही, याचिकाकर्ता को बर्खास्तगी आदेश से सुप्रीम कोर्ट से बरी होने तक की अवधि के लिए समस्त नोशनल परिलाभ पाने का हकदार माना। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राधेश्याम दर्जी की हिरासत में मौत को लेकर याचिकाकर्ता सहित अन्य कांस्टेबलों के खिलाफ झालावाड़ के गंगधार थाने में वर्ष 1999 में मामला दर्ज हुआ।
अधीनस्थ अदालत ने सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, सुप्रीम कोर्ट ने अप्रेल, 2016 में याचिकाकर्ता को बरी कर दिया। वहीं बिना बताए अनुपस्थित रहने के मामले में झालावाड़ एसपी ने अक्टूबर 2000 में याचिकाकर्ता को बर्खास्त कर दिया और गृह विभाग के उप सचिव ने बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी। प्रार्थीपक्ष ने कहा कि याचिकाकर्ता को न कारण बताओ नोटिस दिया और न चार्जशीट दी गई। इसके अलावा समान मामले में अधीनस्थ अदालत से बरी होने के बाद तेज सिंह को बहाल किया जा चुका है। ऐसे में याचिकाकर्ता को भी बहाल कर सभी सेवा परिलाभ दिलाए जाएं।