राजस्थान में आतंक का सालों पुराना नाता रहा है। कभी इंजीनियर तो कभी मनी एक्सजेंच करने वालों की शक्त में आतंक राजस्थान में पकडा गया है। जयपुर के मोती डूंगरी क्षेत्र से इंडियन आॅयल में काम करने वाले एक इंजिनियर को पकउा गया था। वहीं नागौर से मनी एक्सचेंज करने वाले आतंकी संदिग्ध का पकडा गया था। दोनो का ताल्लुक इंउियन मुजाहिदीन से था और दोनो का काम भडकाउ साहित्य फैलाना और गुप्त रुप से भर्ती करने का था। जयपुर और नागौर के अलावा जोधपुर, सीकर, टोंक, अजमेर, कोटा से भी पिछले सात से आठ साल के दौरान कई आतंकी संदिग्ध पकडे गए हैं।
13 मई 2008 को जयपुर में हुई सिलसिलेवार आठ बम धमाकों में सैंकडो लोग मारे गए थे और गंभीर घायल हुए थे। इन धमाकों के बाद जब जांच एजेंसियों ने काम शुरु किया तो पता चला कि इंडियन मुजाहिदीन की स्लीपर सैल से जुड़े आतंकियों ने इस काम को अंजाम दिया है। उसके बाद से राजस्थान की स्पेशल टीमों ने सीकर से छह, जोधपुर से तीन, पाली और जयपुर से एक-एक एवं बिहार से एक आईएम के आतंकी को पकडा था। सभी कामकाजी युवा थे और स्लीपर सेल बनकर आतंक को पूरे देश में फैला रहे थे। बड़ी संख्या में भडकाउ साहित्य के साथ ही गोला बारुद एवं अन्य हथियार भी मिले थे।