लालमिर्च का ‘तड़का’ अब नहीं पड़ेगा महंगा, बिकवाली से दामों में आई भारी गिरावट
उत्पादक मंडियों में बिकवाली दबाव बना होने से लालमिर्च के दामों गिरावट का रुख देखा जा रहा है। यहीं कारण है कि पिदले पन्द्रह दिनों में ही लालमिर्च के दाम 30 रुपए प्रति किलो नीचे आ गए हैं। जयपुर मंडी में गुंटूर तेजा डंडीकट मिर्च 300 रुपए तथा गुंटूर तेजा पत्ता 140 रुपए प्रति किलो पर बेचा जा रहा है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि आंध्रप्रदेश का गुंटूर जिला लालमिर्च उत्पादन के लिए देश भर में प्रमुख है। गुंटूर जिले में मुख्य रूप से सनम मिर्च की खेती होती है। आंध्रप्रदेश सरकार ने वर्ष 2025 तक गुंटूर सनम मिर्च के निर्यात को बढ़ाने का फैसला किया है। वर्तमान में सनम मिर्च का सालाना निर्यात 3502 करोड़ रुपए है, जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर 4661 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस प्रस्ताव के तहत गुंटूर को एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
20 से ज्यादा देशों में मिर्च का निर्यात गुप्ता ने कहा कि गुंटूर सनम मिर्च को जीआई टैग मिल चुका है। वर्तमान में गुंटूर से चीन, थाईलैंड और बांग्लादेश सहित 20 से अधिक देशों में मिर्च का निर्यात किया जा रहा है। इन देशों में मिर्च पाउडर, बीज और मिर्च का तेल जैसे विभिन्न उत्पादों का एक्सपोर्ट किया जाता है। इस बार उत्पादन कम होने से सीजन में मिर्च 60 से 65 रुपए प्रति किलो महंगी हो गई थी। मगर उसके बाद दक्षिण भारत की मंडियां एक माह बंद होने के पश्चात खुलते ही आवक दबाव बन गया था। लिहाजा मुनाफावसूली की बिकवाली शुरू होते ही मिर्च के भाव गिरने लगे। मिर्च की नई फसल आने में लंबा समय बाकी है। बरेली लाइन की आने वाली मिर्च की फसल भी कमजोर बताई जा रही है। यही वजह है कि मिर्च में अब और मंदे की गुंजाइश नहीं है।
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