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Jaipur News: कर्मों से अपने भाग्य को कैसे बदल सकते हैं? जानिए स्वामी रामभद्राचार्य ने क्या दिया जवाब

Rajasthan News: तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि माया एक ठगिनी है जिसने जीव को न जाने कितने रूपों में फंसा लिया है। इससे बचने का एक मात्र उपाय है भगवान का नाम जप और स्मरण।

जयपुरNov 11, 2024 / 10:37 am

Rakesh Mishra

Swami Rambhadracharya
हर्षित जैन

Swami Rambhadracharya: ‘राम का अर्थ है प्रकाश। किरण और आभा (कांति) जैसे शब्दों के मूल में राम है। रा का अर्थ है आभा और म का अर्थ है मैं। ‘मेरा और मैं स्वयं’। राम नाम का शाब्दिक अर्थ है मेरे भीतर प्रकाश, मेरे हृदय में प्रकाश।’ यह मानना है तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य (75) का जो कि इन दिनों राम कथा के सिलसिले में जयपुर प्रवास पर हैं। कर्म, धर्म और राजनीति के साथ ही आनंद मय जीवन तथा अन्य समसामयिक मुद्दों पर उन्होंने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत की।
Q. रामलला मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। राम मंदिर प्रकरण में आपकी गवाही कितनी महत्वपूर्ण रही ?
A. स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं फिलहाल वैसा ही अनुभव कर रहा हूं, जैसा रामजी के वनवास खत्म होने के बाद अयोध्या आने पर अयोध्यावासियों ने किया था। इलाहबाद हाइकोर्ट में जब यह मुकदमा था, तब मैं हर गवाही में वहां था। वहां सैकड़ों साक्ष्य रामजन्म भूमि के पक्ष में रखे थे। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक स्थिति में आया, तब वहां भी खंडपीठ के न्यायमूर्ति ने कहा कि स्वामी रामभद्राचार्य की गवाही को पढ़ा जाए। इसके बाद फैसला किया। निर्णय में 42 बार स्वामी के नाम का जिक्र किया है। सभी साक्ष्य को जजमेंट में शामिल किया गया। राम मंदिर के निर्माण में संतों का योगदान है।
Q. ईश्वर तक पहुंचने का सही मार्ग €या है?
A. योग्य सद्गुरु की शरण। परमात्मा ने भी सद्गुरु का आश्रय लिया था। सांसारिक सुखों के बजाय जीवन को मोक्ष की ओर मोड़ो। जो मार्ग हमें शास्त्रों ने सुझाया है, उसी पर चलना और उसका पालन करना होगा।
Q. अहंकार और माया से मुक्ति कैसे प्राप्त करें?
A माया एक ठगिनी है जिसने जीव को न जाने कितने रूपों में फंसा लिया है। इससे बचने का एक मात्र उपाय है भगवान का नाम जप और स्मरण। संत कबीर ने मायामोह के प्रति सजग रहने का संदेश दिया है।
Q. कर्मों से अपने भाग्य को कैसे बदल सकते हैं?
A. ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषुकदाचन’ अर्थात व्यक्ति को कर्म करने का अधिकार तो है, कर्मफल पर नहीं। इस श्लोक से श्रीकृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं कि कर्मफल के लिए कर्म नहीं करना चाहिए। कर्मों के द्वारा ही भाग्य में परिवर्तन लाया जा सकता है। दान-पुण्य, ईश्वर आराधना एवं अन्य शुभ कर्मों से दुख में कमी लाई जा सकती है।
Q. राजनीति में धर्म और जातिवाद को कैसे देखते हैं।
A. अहम ही सबसे बड़ा वहम है। अहम से बचें। हमें आजादी तो मिल गई है लेकिन वैचारिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता नहीं मिली है। इंसान को जातियों में मत बांटो। हाल ही इसका असर उत्तरप्रदेश में भी नजर आया। पंथ अनेक हो लेकिन हिंदू एक हो। एकता से सबकुछ पाना संभव है। भगवान राम ने सबको एक साथ जोड़कर संगठन खड़ा किया।
Q. तनावमु€त जीवन जीने के लिए क्या करना होगा?
A. अहंकार का त्याग। प्राणायाम करें, ध्यान लगाएं, अनावश्यक बातों में न उलझें। भगवान सत्य बोलते हैं, प्रिय बोलते हैं और हितैषी बोलते हैं। हमें भी ईश्वर के इस संदेश को अपनाना चाहिए। तभी माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद मिलेगा।
Q. जयपुर के लिए कोई आगामी प्रकल्प?
A. तुलसी पीठ सेवा न्यास चित्रकूट के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने जवाब दिया कि जल्द तुलसी पीठ का केंद्र खोलने की योजना है।

Q. युवाओं को €या सीख देंगे ?
A. ओसामा बिन लादेन ने भी अपनी इंजीनियरिंग का गलत उपयोग किया। ऐसे में एआई का सदुपयोग हो। युवा भगवान राम को आदर्श मानें। हीरो के पीछे न भागें। हीरो का अर्थ है एच यानि हैंडसम, ई का मतलब एज्युकेटेड। आर फॉर रेग्युलर, ओ फॉर ऑबिडियन। सौंदर्य वही है जो हमारे स्वरूप, अनुशासन व संयम को खराब न करे। मर्यादा पूर्ण जीवन, संयमित जीवनचर्या के साथ ही युवा माता-पिता के प्रति आज्ञाकारी रहें। अंग प्रदर्शन की होड़ में आगे न आएं। विदेशों में आज साड़ी पहनी जा रही है। राजस्थान में जो अनुशासन है वह कहीं नहीं। यहां का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है।

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