राज्य सरकार ने वर्ष 2018 के आखिर में विधानसभा चुनाव को देखते हुए स्वच्छ भारत मिशन के तहत जून 2018 में राजस्थान को ओडीएफ घोषित कर दिया। इसके लिए आननफानन में कई नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया गया। जबकि उन नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों में शौचालय निर्माण के शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सके थे। सरकार की तेजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार 2 अक्टूबर 2014 से दिसम्बर 2017 तक सिर्फ 66 नगरीय निकायों को ही ओडीएफ घोषित कर पाई थी। जबकि अगले 6 महीनों में बाकी बचे 125 निकायों को खुले में शौच मुक्त कर दिया गया। लेकिन सरकार की ओडीएफ घोषणा सिर्फ कागजी थी, प्रदेश के अब भी हजारों लोग ऐसे हैं, जिन्हें शौचालय निर्माण के लिए दूसरी किश्त के पैसे नहीं मिले हैं। बिना पैसों के बड़ी संख्या में शौचालय अधूरे पड़े हैं। कम पानी वाले इलाकों में जो शौचालय बनाए गए थे, लोग पानी के अभाव में उनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़ों का जो सच एनएसएस के सर्वे में सामने आया है वह सरकारी दावों की पोल खोल रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन सरकारी आंकड़ों में शौचालय निर्माण — 74,54,899 (31 )
2019—20 में — 674
सभी 33 जिले ओडीएफ घोषित
सभी 9892 ग्राम पंचायत ओडीएफ घोषित
सभी 42,860 गांव ओडीएफ घोषित
सभी 191 नगरीय निकाय ओडीएफ घोषित
सितम्बर 2018 तक 72,33,580 फोटो वेबसाइट पर अपलोड
2019—20 में 1,34,185 फोटो वेबसाइट पर अपलोड
सरकार ने यूं हासिल किया कागजी लक्ष्य
2014 — 27.62 प्रतिशत
2015—16 — 53.61 प्रतिशत
2016—17 — 80.13 प्रतिशत
2017—18 — 99.95 प्रतिशत
2018—19 — 99.99 प्रतिशत
2019—20 — 100 फीसदी ये बोले अधिकारी – स्वच्छ भारत मिशन के तहत राजस्थान ओडीएफ घोषित हो चुका है। लेकिन कभी शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने का दावा नहीं किया। कुछ कमियां अभी भी होंगी। एनएसएस के आंकड़ों में ओडीएफ को लेकर जानकारी दी गई है, इस बारे में कुछ नहीं कह सकते।
उज्जवल राठौड़, निदेशक एवं संयुक्त सचिव, स्वायत्त शासन विभाग