पीडि़तों के अनुसार चिरंजीवी बीमा के बावजूद किसी को निजी अस्पताल ने सरकारी अस्पताल में जाने की सलाह दी तो किसी को हजारों रुपए खर्च कर इलाज करवाना पड़ा। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स ने कहा कि हर महीने उनके वेतन और पेंशन से पैसे तो कट जाते हैं, लेकिन इलाज के लिए निजी अस्पताल में जाने पर उन्हें लौटाया जा रहा है या पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
खर्च करने पड़े 64,675 रुपए एक पीडि़त ने अपना नाम लिखे बिना बताया कि उनके यहां 18 नवंबर को पुत्र का जन्म हुआ। जन्म के साथ ही उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी। लेकिन निजी अस्पताल ने इलाज से मना कर दिया और सरकारी जनाना अस्पताल में जाने की सलाह दे दी। उन्हें निजी अस्पताल में 64,675 रुपए खर्च करने पड़े
लोगों की पीड़ा…कुछ बानगी भीलवाड़ा: आरजीएचएस योजना के तहत निजी अस्पताल ने इलाज से मना कर दिया, जवाब मिला…इस योजना में सही समय पर भुगतान नहीं मिलता है। कोटा: निजी अस्पताल ने चिरंजीवी बीमा के तहत इलाज से मना किया, इसी अस्पताल ने निजी बीमा के कार्ड पर इलाज कर दिया। आरजीएचएस से कई दवाइयां और जांचों की सुविधा बिना कारण बंद कर दी गई हैं
– नीमकाथाना: स्यालोदड़ा गांव निवासी सुरेन्द्र जांगिड़ ने बताया कि पिछली सरकार में उन्हें चिरंजीवी योजना के तहत सुविधाएं मिल रही थी, लेकिन अब आयुष्मान भारत बीमा योजना की सूची में उनके पूरे परिवार सहित गांव के कई परिवारों के नाम नहीं है।
दिए सुझाव – आरजीएचएस में दवाइयां समय पर और पूरी नहीं मिलती। जबकि वेतन-पेंशन में से पैसा लगातार कटता है। या तो पैसे कटना बंद हों या योजना सही तरीके से संचालित की जाए।
– आरजीएचएस में पुनर्भरण का विकल्प नियोक्ता को देना चाहिए या फिर पूरी तरह पिछली भाजपा सरकार की बीमा योजना लागू कर देनी चाहिए।
निजी अस्पतालों ने भी बताई अपनी परेशानी – आरजीएचएस में दवा दुकानों और निजी अस्पतालों को भुगतान नहीं हो रहा, ऐसे में अस्पताल कैसे चल पाएंगे ?
– चिरंजीवी योजना में बीमा कंपनी बिना कारण क्लेम खारिज कर देती है, उसकी अपील पर भी सुनवाई नहीं होती।