ना केवल जयपुर बल्कि देश के विभिन्न भागों में अपनी कला को प्रदर्शित कर चुकी रीता पांडे कई मंच पर सम्मानित भी हो चुकी हैं। वे कहती हैं कि ब्रेक के बाद जब दोबारा पेंटिंग की शुरुआत की तब लगा कि कुछ अलग करना है इसलिए मैंने इस बार ब्रश के स्थान पर नाइफ उठाया और यही सोच कर नाइफ से शुरुआत की। मुझे लगा शायद मैं इसमें बेहतर कर सकती हूं। वे कहती हैं कि उन्हें घूमने का बेहद शौक है, जहां जाती हूं अपने साथ पेंटिंग का सामान लेकर जाती हूं और प्रकृति को अपने कैनवास में कैद करती हूं। तकरीबन 20 साल से नाइफ पेंटिंग कर रही रीता कहती हैं कि पढ़ाई के साथ पेंटिंग करने की शुरुआत की थी। उस समय ब्रश से पेंटिंग किया करती थी, फिर जब नाइफ पेंटिंग के बारे में पता चला तो वर्ष 1980 में नाइफ पेंटिंग करना शुरू कर दिया। मूल रूप से रूडक़ी निवासी रीता शादी से पहले रुडक़ी में हॉबी क्लास संचालित करती थीं। शादी के बाद जयपुर आ गईं, यहां आकर पीएचडी में व्यस्त रहीं। बच्चे छोटे थे ऐसे में पेंटिंग भी कहीं पीछे छूट गई थी।