स्कूल में पानी निकासी का कोई रास्ता नहीं है। बारिश में स्कूल का पानी ग्राउंड में भर जाता है। बाहर सड़क से भी पानी बहकर भीतर आ जाता है। बारिश के मौसम में यहां पढऩे वाले बच्चों को इस जलभराव से होकर निकलना पड़ता है। वहीं पुराने कमरो में कई जगह पानी टपकता है। जिससे बच्चो को पढ़ाई में परेशानी उठानी पड़ती है। कई बार इसके लिए प्रयास भी किए लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ। ऐसे में बारिश के दिनों में बच्चों को खेलने में भी दिक्कतें होती है।
भंवर लाल भाटी, स्थानीय न्र कहा की निजी स्कूलों में पढ़ाई का खर्चा अधिक होने के चलते यहां रहने वाले गरीब परिवार के लोग बच्चों को यहां भेजेते हैं। ऐसे में यहां आठवीं तक पढऩे के बाद बच्चों को ढाई किलोमीटर दूर दूसरी स्कूल में जाना पड़ता है। यदि ये स्कूल क्रमोन्नत हो जाए तो सोने पर सुहागा होगा।